Opposition in 2024 : चुनाव में विपक्ष को संजीवनी

2024 के चुनाव में विपक्ष को संजीवनी

2010 से 2014 के बीच तत्कालीन UPA सरकार के खिलाफ इतने आंदोलन हुए कि लोगों के मन में UPA में शामिल पार्टियों के प्रति नकारात्मक भावना भर गई| शुरू में बाबा रामदेव-अन्ना हजारे और बाद में नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस औऱ UPA पार्टियों को भ्रष्ट, नकारा और देश विरोधी साबित करने में पूरा जोर लगा दिया| इस मुहिम में उन्हें देश की मेनस्ट्रीम मीडिया का खूब साथ मिला|
उसी मुहिम का ये परिणाम रहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में देश की जनता ने BJP को स्पष्ट बहुमत दे दिया| उसके बाद से 2024 तक देश में विपक्ष का स्पेस लगभग समाप्ति की ओर आ गया क्योंकि उसे बहुत बेहरहमी के साथ बदनाम कर दिया गया औऱ पूरी तरह से कुचलने के प्रयास किया गया किन्तु 2024 के चुनाव परिणाम से विपक्ष को एक संजीवनी मिलने का काम हुआ है|

2014 के चुनाव से पहले औऱ बाद में विपक्ष

2014 के लोकसभा चुनाव पूर्व मौजूदा सरकार के प्रति जबरदस्त गुस्सा था और देश का प्रत्येक नागरिक ये मानने लग गया था कि इस सरकार ने देश को लूटा है| बाबा रामदेव ने महंगाई मुक्त भारत,काले धन की वापसी और व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर देश के लोगों को अपने साथ जोड़ा|
इसी तरह अन्ना हज़ारे ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का सपना दिखाया| इन सबके बाद नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिनों का वादा करके सारे सरकार विरोधी माहौल को अपनी और मोड़ लिया|
2014 में नरेंद्र मोदी बहुत उम्मीदों के साथ देश के प्रधानमंत्री बने औऱ देश के लोगों को लगा कि अब देश में अच्छे दिन आएंगे| मोदी सरकार ने देश का डंका दुनिया बजने,भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने औऱ सांप्रदायिक भावनाओं को अपनी ताकत बनाकर अपनी पकड़ को मजबूत किया| अपनी पकड़ को मजबूत करने के साथ साथ मोदी सरकार ने देश को पहले कांग्रेस मुक्त औऱ बाद में विपक्ष मुक्त का नैरेटिव भी चलाने का प्रयास किया
कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी को पप्पू घोषित करने का प्रयास किया गया| जिसने भी सरकार के सामने आवाज उठाने की कोशिश की उसे देशविरोधी और धर्मविरोधी करार दे दिया गया| नोटबन्दी, स्वच्छ भारत अभियान, शौचालय निर्माण और विदेशी दौरों को सरकार की उपलब्धि के तौर पर बताया गया

2019 के चुनावों के बाद सरकार

2014 में BJP को 282 सीटें मिली थी किन्तु 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP को 303 सीटें प्राप्त हुई| 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयर-स्ट्राइक से पूरे देश में राष्ट्रवाद का ज्वार आया हुआ था जिसका फायदा BJP ने भरपुर तौर पर उठाया और अपने पिछले प्रदर्शन को और बेहतर कर लिया|
दूसरे कार्यकाल में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने,राम मंदिर निर्माण को सम्भव बनाने औऱ एक बड़ा लाभार्थी वर्ग तैयार करने का प्रयास किया| कोरोनाकाल के काम को भी सरकार ने अपनी उपलब्धियों के तौर पर गिनाया खासकर पूरे देश में टीकाकरण के काम को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया गया| इस कार्यकाल में भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बना,इस बात को भी बड़ी सफलता बताकर प्रचारित किया गया|

2019 के चुनावों के बाद विपक्ष

2019 के बाद वाले कार्यकाल में सरकार ने कुछ बड़े निर्णय लिए औऱ साथ के साथ विपक्ष के स्पेस को ख़त्म करने के प्रयासों में तेजी लाना शुरू कर दिया| सरकार ने राहुल गांधी औऱ संजयसिंह सहित कई सांसदों की सदस्यता समाप्त कर दी,
कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया और चुनाव से ठीक पहले काँग्रेस के बैंक खाते सीज कर दिए| इस सबमें खास बात ये रही कि जिन नेताओं और पार्टियों ने BJP का दामन थाम लिया उन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों ने सख्ती नही की
विपक्ष द्वारा सरकार की तानाशाही और संविधान बदलने के नैरेटिव को हवा देना
एक तरफ मौजूदा केंद्र सरकार अपने कामों का प्रचार कर रही थी तो दूसरी तरफ वह जांच एजेंसियों का भय दिखाकर पार्टियो और नेताओँ को अपने खेमें में लेने का अभियान भी चलाये हुए थी| BJP ने महाराष्ट्र में शिवसेना और NCP को तोड़ दिया, कई राज्यों में विधायकों को तोड़कर सरकारें गिरा दी,
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी जेल में डाल दिया गया और सैंकड़ो नेताओं को उनकी पार्टी से तोड़कर अपने मे मिला लिया| सरकार औऱ BJP के इस रवैये से पूरे देश में ये संदेश गया कि ये सरकार की तानाशाही है|
इस तानाशाही रवैये के अतिरिक्त सरकार ने चुनावों से पूर्व अबकी बार चार सौ पार का नारा दिया| BJP के कई सांसदों के ऐसे बयान आए कि वे जीतने के बाद संविधान बदल देंगे| विपक्ष ने इस मुद्दे को बडी चतुराई से अपने पक्ष में घुमाते हुए इसे आरक्षण हटाने के साथ भी जोड़ दिया जिसके कारण SC-ST-OBC और अल्पसंख्यकों का रुझान विपक्षी पार्टियों की ओर हो गया|

विपक्ष का संतोषजनक प्रदर्शन

विपक्ष पर सरकार की बेरहम सख्ती और देश के मीडिया द्वारा विपक्ष को बदनाम करने की मुहिम के बावजूद न केवल विपक्ष एकजुट हुआ बल्कि उसने लोकसभा चुनावों में ठीक ठाक प्रदर्शन किया| राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा औऱ विपक्षी नेताओ की लगातार टूट से ऐसा लग रहा था जैसे इन चुनावों में कोई बराबर की टक्कर है ही नही|
मीडिया भी BJP के चार सौ पार के नारे के साथ ऐसे सुर में सुर मिला रहा था कि एक पत्रकार ने PM नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेते हुए टिप्पणी की कि ये चुनाव महज एक औपचारिकता है| कोई कह रहा था कि 2029 तक कोई मौका नहीं और कोई 2047 तक के प्लान की बात कर रहा था
किंतु जब रिजल्ट आये तब सरकार को इस कार्यकाल का ही स्पष्ट बहुमत नही मिला| सरकार औऱ BJP को कई राज्यों में कड़ी चुनौती मिली और विपक्ष ने अपने ताकत को काफी मजबूत कर लिया| विपक्ष के पास सरकार बनाने लायक सीटें नही आई किन्तु उसे खुशी उतनी ही हुई जैसे उन्हें सरकार बनाने का बहुमत मिल गया हो|

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