Nitish Kumar : सत्ता के साथी

सत्ता के साथी नीतीश कुमार

Nitish Kumar : वैसे तो बिहार की राजनीति को बहुत स्मार्ट और परिपक्व माना है| देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद,कर्पुरी ठाकुर और लालू यादव जैसे लोकप्रिय और परिपक्व नेताओ का सम्बंध बिहार से रहा है
किन्तु इन सब दिग्गज नेताओं में Nitish Kumar एक ऐसे अनोखे किरदार है जिन्हें देखकर लगता है कि सत्ता इनके पीछे-पीछे घूमती है| इसका कारण ये है कि बिहार में चाहे कोई सी भी पार्टी चुनाव जीते किन्तु सत्ता की चाबी हमेशा नीतीश कुमार के पास ही रहती है|
इसी साल उन्होंने RJD से नाता तोड़कर BJP के साथ आने का निर्णय लिया था जब माना जा रहा था कि उन्होंने अभी तक इतनी पलटियाँ मार ली है कि जनता उनसे नाराज हो गयी होगी| सभी राजनीतिक पंडितों का अनुमान था कि इस लोकसभा चुनाव में Nitish Kumar सबसे बड़े लूज़र साबित होंगे और उनका राजनीतिक सफर समाप्त हो जाएगा किन्तु नियति ने ऐसी पलटी मारी है कि नीतीश कुमार एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में सामने आए है|

शुरुआती राजनीतिक सफर

Nitish Kumar JP आंदोलन के रंगरूट है जिन पर राममनोहर लोहिया, कर्पुरी ठाकुर और वी.पी. सिंह की राजनीति का प्रभाव है| नीतीशकुमार ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरू में दो चुनाव लगातार हारे जब वे जनता पार्टी के टिकट पर 1977 और 1980 में विधायक का चुनाव हार गए|
Nitish Kumar पर राजनीति 1985 से मेहरबान होना शुरु हुई जब वे जनता पार्टी के टिकट पर ही पहली बार विधायक का चुनाव जीत गए| 1985-1989 के दौरान वे पहली बार विधायक रहे और 1989 के लोकसभा चुनावों में वे पहली बार सांसद का चुनाव भी जीत गए|
इसके बाद वे कुल छह बार सांसद का चुनाव जीते (1989, 1991, 1996, 1998, 1999 औऱ 2004) Nitish Kumar केंद्रीय मंत्री बनने के मामले में भी भाग्यशाली रहें क्योंकि उन्हें सांसद के पहले कार्यकाल के दौरान ही 1990 में कृषि राज मंत्री का पद दिया गया| उंसके बाद वे कई बार रेलमंत्री और कृषि मंत्री रहें|

बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल

Nitish Kumar ने पहली बार 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली किन्तु पूर्ण बहुमत न होने के कारण 7 दिन के भीतर ही फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे दिया| उंसके बाद आज वे सबसे ज्यादा बार(10 बार) शपथ लेने वाले और सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता है|
2005 के विधानसभा चुनावों के सहित अब तक बिहार में 5 बार विधानसभा चुनाव हुए है| कायदे से तो केवल पांच बार ही मुख्यमंत्री का शपथ-ग्रहण कार्यक्रम होना चाहिए था किंतु इन 19 सालों में वहां 10 बार मुख्यमंत्री का शपथग्रहण समारोह हुआ जिनमें 9 बार Nitish Kumar ने शपथ ली और एक बार कुछ समय के लिए जीतनराम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रहें
सबसे मजेदार बात ये रही कि इन पांच बार हुए चुनावों में कभी किसी पार्टी को स्पस्ट बहुमत नही मिला जिसका फायदा हर बार Nitish Kumar ने उठाया औऱ वे मुख्यमंत्री बनते रहें|

2005 के बाद का इतिहास

कुल 243 सदस्यों की विधानसभा में 2005 के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी 75 सीटों के साथ लालूप्रसाद यादव की RJD बनी किन्तु सरकार JDU ने 55 सीटों के साथ Nitish Kumar के नेतृत्व में BJP के साथ उनकी 37 सीटों के समर्थन से सरकार बनाई किन्तु ये सरकार 8-9 महीने ही चल पाई और विधानसभा को भंग करना पड़ा|
2005 के उत्तरार्ध में फिर चुनाव हुए जिसमें JDU ने 88 सीटें जीती और सबसे बड़ी पार्टी बनी| Nitish Kumar ने एक बार फिर BJP की 55 सीटों के समर्थन से सरकार बनाई| 2010 के विधानसभा चुनावों में JDU को 115 सीटें मिली औऱ BJP को 91 सीटें मिली| एक बार फिर इन्ही दोनों दलों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में संयुक्त सरकार का गठन किया|
2015 के चुनावों में JDU मात्र 44 सीटो पर जीत सकी किन्तु अबकी बार Nitish Kumar ने लालू यादव की RJD(58 सीटें) और कांग्रेस(23 सीटें) से हाथ मिलाकर सरकार बना ली| 2020 के चुनावों में RJD 75 सीटो के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी,BJP ने 74 सीटें जीती औऱ JDU जो अब तक हमेशा पहले या दूसरे नम्बर की पार्टी हुआ करती थी वो तीसरे नंबर पर चली गई औऱ उन्हें मात्र 43 सीटे ही मिल पाई किन्तु नीतीश कुमार पर क़िस्मत फिर मेहरबान रही और राज्य में सरकार उनके नेतृत्व में बनी जिसे लालु यादव RJD ने अपना समर्थन दिया|

BJP के खिलाफ मोर्चा और पुनः BJP में वापसी

Nitish Kumar ने 2023-2024 में BJP के खिलाफ मोर्चा खोला और पूरे देश में घूम घूम कर INDIA गठबंधन की नींव तैयार की किन्तु लोकसभा चुनावों से कुछ समय पहले पलटी मारते हुए BJP के साथ ही जुड़ गए औऱ BJP के साथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ा|
Nitish Kumar की इतनी पलटियों को देखते हुए राजनीतिक पंडितों का अनुमान था कि ये Nitish Kumar की अंतिम पारी है| राज्य के लोगों की नजर में उनकी छवि बेहद अविश्वसनीय नेता की बन गयी और BJP, RJD और कांग्रेस भी उनसे आशंकित रहने लगें कि नीतीशकुमार पर भरोसा करना खतरे से खाली नही है|

डूबती नाव से उड़ते यान के पायलट

जब सब लोग Nitish Kumar को डूबती नाव का सवार मान रहे थे तब उन पर एक बार फिर किस्मत मेहरबान हुई है औऱ आज वे एक उड़ते हुए यान के पायलट है| उनके बिना केंद्र में सरकार बनाना बहुत मुश्किल है| अब वे ने केवल एक किंगमेकर की भूमिका में है बल्कि अब राज्य की राजनीति में भी उनकी भूमिका को जीवनदान मिला है|
ऐसे में कहा जा सकता है कि Nitish Kumar हमेशा से सत्ता के साथी रहे है| ठीक नीतीश कुमार जैसा ही भाग्य बिहार के पासवान परिवार का भी है| वे भी हमेशा से सत्ता के साथी रहे है| बिहार की राजनीति इस मामले में बहुत भाग्यशाली है|

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