Mayawati The biggest loser : 2024 के लोकसभा चुनाव

2024 के लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी लूज़र:मायावती

1984 में कांशीराम द्वारा बनाई गई BSP की कमान 2001 से Mayawati के पास है| हाथी नही गणेश है-ब्रह्मा,विष्ण,महेश है के नारे को चरितार्थ करते हुए मायावती ने 2007 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में 403 में से 206 सीटें जीतकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था|
देश के सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री बनने औऱ कानून व्यवस्था में ठीक-ठाक सुधार के कारण उन्हें उनके समर्थक देश के प्रधानमंत्री बनने के भी ख्वाब देखने लगे थे| किन्तु 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन को देखकर लगता है Mayawati की राजनीति अब ढलान अथवा समाप्ति की ओर है|

पार्टी की स्थापना और विचारधारा

अंबेडकर जयंती(14 अप्रैल) के दिन 1984 में प्रसिद्ध और लोकप्रिय अंबेडकरवादी नेता कांशीराम द्वारा इस पार्टी का गठन किया गया| उन्होंने इस पार्टी का नाम बहुजन समाज पार्टी इसलिए रखा कि ये पार्टी SC-ST-OBC-अल्पसंख्यक औऱ शोषित-वंचित समाज के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई थी| उनका मानना था कि इस तरह का समाज देश में करीब 70% है जिसे बहुजन समाज कहना न्यायोचित होगा|
बहुजन शब्द अक्सर अंबेडकर प्रयोग में लेते थे जिनका मानना था कि उन्होंने ये शब्द बौद्ध ग्रंथों से लिया है| शुरुआत में BSP की छवि स्वर्ण विरोधी थी जिसका कारण उनका नारा था ‘तिलक,तराजू और तलवार,इनके जूते मारो चार’ किन्तु बाद में Mayawati में स्वर्णो खासकर ब्राह्मणों को साधने में सफलता पाई उसी का परिणाम था कि 2007 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में BSP को स्पष्ट बहुमत मिला|

शुरुआती चुनावी सफलता

पार्टी गठन के बाद BSP ने 1989 के लोकसभा चुनावों में पहली बार में ही चार सांसद जीतने में सफलता पाई| 1991 के लोकसभा चुनाव में ये संख्या तीन रह गयी किन्तु 1996 के चुनावों में दहाई का आंकड़ा पार करते हुए जीती हुई सीटो की संख्या को 11 तक पहुँचा दिया| इसके बाद BSP ने चार बार(1999,2004,2009,2019) दहाई का आंकड़ा छुआ जिसमें सबसे ज्यादा 21 सांसद 2009 के लोकसभा चुनाव में जीते|

राज्यों में प्रदर्शन

BSP का सबसे अच्छा प्रदर्शन उत्तरप्रदेश में रहा है जहाँ उन्होंने 2007 में 403 में से 206 विधानसभा सीटे जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाई| इससे अतिरिक्त BSP को उत्तरप्रदेश में 2002 में 98सीटें(पहली बार इतनी सीटे),2012 में 80 सीटें मिली जो इनका तीसरा सबसे अच्छा प्रदर्शन था|
उत्तरप्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां उनकी सीट दो बार दहाई की संख्या से ज्यादा आई| BSP ने मध्यप्रदेश में 1993 और 1998 के विधानसभा चुनावों में 11-11 सीटें जीती| इन दो राज्यों के अलावा राजस्थान, पंजाब,दिल्ली,महाराष्ट्र, बिहार औऱ जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में भी करीब आधा-आधा दर्जन सीटें जीतते रहे है|

पार्टी का स्वर्णिम काल(2002-2012)

2001 में BSP की कमान मायावती के पास आई और उन्होंने पार्टी को न केवल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलवा दिया बल्कि 2002 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में 98 सीट जीतकर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा दी| 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में BSP ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 19 सीटें जीती|
2007 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में 403 में से 206 सीटें जीतकर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हाँसिल किया| मायावती के नेतृत्व में बनी राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था के क्षेत्र में अच्छा काम किया और नारा दिया ‘चढ़ गुंडन की छाती पर-मुहर लगेगी हाथी पर’| इसका आशय था कि अब बहुजन समाज को किसी भी प्रकार के गुंडा तत्वों से डरने की जरूरत नही है,अब उनकी मजबूत राजनीतिक आवाज का उदय हो चुका है|
BSP ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 21 सीटें जीतकर अपने इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया| इस तरह से 2002 से 2012 का 10 वर्षों का समय BSP का स्वर्णिम काल रहा|
इन तीन लगातार असफलताओं से BSP के भविष्य पर संकट नजर आ रहा है| BSP के लिए ये जरूर आत्मचिंतन का विषय होगा कि लोकसभा में 20-21 सीट तक जीत लेने वाली पार्टी दो बार कैसे शून्य पर आ गयी? इसी तरह उत्तरप्रदेश विधानसभा में 200 से ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी केवल 1 सीट पर कैसे आ गई|

पार्टी का खराब दौर

2014 के लोकसभा चुनावों में BSP को एक भी सीट नसीब नही हो सकी जिसे पार्टी को ज़ोरदार झटका माना गया| इसी तरह 2022 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में मात्र 1 सीट जीत पाई और अब 2024 के लोकसभा चुनावों में भी BSP को कोई सीट नही मिल पाई|

आरोप औऱ खराब प्रदर्शन के कारण

BSP पर आरोप है कि उनकी सबसे बड़ी नेता मायावती पर आय से ज्यादा संपत्ति का केस चल रहा है जिसके कारण वे केंद्रीय जांच एजेंसियों के कारण भयभीत है| जांच और जेल के डर से वे केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार के आगे नतमस्तक है| इन आरोपों को बल तब मिला जब मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला था किंतु इसके बाद उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था|
इसके अलावा मायावती ने लोकसभा चुनावों में ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जिन्होंने विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों को हराने में सहयोग किया| एक अखबार ने खबर प्रकाशित की है जिनके अनुसार अकेले उत्तरप्रदेश में 19 सीटों पर BSP ने NDA के उम्मीदवारों को हराने में मदद की है|
कारण जो भी हो किन्तु इन दो तीन चुनावों में सबसे बड़ी लूज़र मायावती है अगर वे अपनी कार्यशैली में बदलाव नही करती है तो उनके स्पेस को कोई दूसरा नेता या दल ले लेगा जिमसें चंद्रशेखर रावण एक सम्भावित विकल्प दिख भी रहे है| चंद्रशेखर रावण ने हाल ही में नगीना(उत्तरप्रदेश) से लोकसभा का चुनाव जीता है|

3 thoughts on “Mayawati The biggest loser : 2024 के लोकसभा चुनाव”

Leave a Comment

Exit mobile version