The distortion of History : Part- 1

Distortion of history

In present time, it is a big topic of discussion among the youth of our country that our history has not been written properly or it has included too much of such facts which make us feel more embarrassment than pride. Some people believe that in the history of India,
our real heroes did not get as much space/respect as they deserved. Some people create unnecessary controversies by raising questions on the activities of dynasties described in history and their lineage (caste) which promotes animosity among different classes/castes.

What is history?

A well-organized writing of the events and their characters of each passing day acquires the form of history.Literature is also written for the sake of writing, but its subject matter is more based on imagination than on real people and events. Literature is created on the basis of imagination and emotion, whereas History is related to real people and events.
Inclusion of imagination in history is possible only to the extent that there are many links missing between any two events or persons or If it is not known then that gap can be filled with logical and probable facts.
Distortion of history History of India

History of India

The history of India begins with the Indus Valley Civilization about four and five thousand years ago. Indus Valley Civilization is considered to be the most advanced, well-organized and urban civilization of its time.
The unfortunate thing is that 100 years ago we had no clue about it and today, even after a hundred years of the discovery of this civilization, we have still not been successful in reading the script of that civilization.

Ancient India

After the Indus Valley Civilization, Vedic period and after the Vedic period, rise of Mahajanapadas and then among those Janapadas, rise of Magadha and dominance of Maurya dynasty over Magadha.
From the fall of the Maurya dynasty to the rise of the Gupta dynasty there were invasions of the Yavanas and short-lived reigns of small dynasties. During this period, the rise and spread of Buddhism and Jainism is known as the ancient history of India. The first authentic date of ancient history is considered to be Alexander’s invasion (326 BC)

Medieval India

As soon as the Gupta power weakened, India disintegrated into many pieces and then Muslim invasions never allowed it to emerge in a larger form.
The time between Muslim imperialism to European imperialism is called the medieval history of India, in which various Rajput dynasties fought very destructive wars against Muslim invaders. During the Sultanate period and the Mughal period
most of the dynasties that fought for the country and religion were Rajputs and apart from these, resistance from Marathas and Sikhs was also seen. With the bravery and diplomatic skills of the Rajputs, the storm of Islam not only stopped but also came to an end in India.
After coming to India, the spread of Islam could not progress further towards the East and the Islamic power, without completely Islamizing India, considered it as its home and maintained its hold on the central power for hundreds of years. The sacrifice and struggle of the Rajputs kept the original form of this country and religion intact.

Modern India

The decline of the Mughal power, the dominance of the European powers and the country’s struggle for independence are known as modern history. How the European traders who came for trade took over the political power of the country and then how the people of the country drove them out. This interesting sequence of events is read and taught in modern history.

Brief Summary

Broadly speaking, the history of India is read by dividing it into these three periods.
The information available about ancient India (from Indus Valley civilization to Gupta period) is not very clear. It becomes very difficult and sometimes impossible to gather authentic evidence for everything about that time, but on the basis of the available evidence, a logical conclusion can be drawn and on that basis, this period of India is called very glorious
India received titles like Golden Bird and Vishwaguru during this period. Gold and silver coins, advanced civilization, high intellectual texts and the global spread of Buddhism gave these titles a justified form.
Medieval India (Islamic spread revolution and struggle of Rajputs) This period indicates India’s bravery and struggle but during this period India lost its intellectual and cultural glory. Thanks to the struggle of Rajputs, Marathas and Sikhs. Otherwise the storm of spread of Islam would have Islamized this entire country.
The result of their struggle is that even after hundreds of years, India was successful in preserving its original form in a culture that was completely Islamized everywhere in a year or two.
Modern India (struggle for freedom from the British) All the evidence of this period is available in abundance, but it should be considered as the misfortune of the country that some people do not fail to tarnish this period and mislead the public for their selfishness.

इतिहास का विकृतिकरण

आज के समय में भारत के युवाओं के बीच ये बड़ा चर्चा का विषय है कि हमारे इतिहास को ठीक से नही लिखा गया या उसमें ऐसे तथ्यों का ज्यादा समावेश किया गया है जो हमें गौरव से ज्यादा शर्मिंदगी का एहसास करवाते है|
कुछ लोगो का मानना है कि भारत के इतिहास में हमारे वास्तविक नायकों को उतना स्पेस/सम्मान नही मिला जितने का वे हकदार थे| कुछ लोग इतिहास में वर्णित राजवंशो के क्रियाकलापों और उनके वंश(जाति) परंपरा पर प्रश्न उठाकर बेवजह का विवाद पैदा करते है जिससे विभिन्न वर्गों में आपसी वैमनस्य को बढ़ावा मिलता है|

इतिहास क्या है?

हर गुजरते दिन की घटनाओं और उनके पात्रों का एक सुव्यवस्थित लेखन इतिहास का स्वरूप प्राप्त कर लेता है| अब लिखने को तो साहित्य भी लिखा जाता है किन्तु उसका विषय वास्तविक व्यक्ति औऱ घटनाओं से ज्यादा कल्पना पर आधारित होता है|
साहित्य कल्पना और भाव पक्ष पर सृजित किया जाता है जबकि इतिहास का संबंध वास्तविक व्यक्ति एवं घटनाओं से होता है| इतिहास में कल्पना का समावेश बस उस सीमा तक सम्भव है जब किन्हीं दो घटनाओं या व्यक्तियों के बीच की कई कोई कड़ी गायब हो अथवा ज्ञात न हो तो उस गैप को तार्किक और सम्भावित तथ्य से भरा जा सके|

भारत का इतिहास

भारत का इतिहास आज से करीब साढ़े चार-पांच हजार साल पहले सिंधु सभ्यता से शुरु होता है| सिंधु सभ्यता अपने समय की सबसे उन्नत-सुव्यवस्थित औऱ नगरीय सभ्यता मानी जाती है| दुर्भाग्य का विषय है आज से 100 साल पहले उसका हमें कोई अता-पता नही था औऱ आज इस सभ्यता के खोज के सौ साल बाद भी उस सभ्यता की लिपि को पढ़ने में अभी सफलता नही मिल पाई है|

प्राचीन भारत

सिंधु सभ्यता के बाद वैदिक काल और वैदिक काल के बाद महाजनपदों का उदय और फिर उन जनपदों में से मगध का उत्कर्ष औऱ मगध पर मौर्य वंश का प्रभुत्व|
मौर्य वंश के पतन से लेकर गुप्त वंश के उदय के बीच यवनों के आक्रमण औऱ छोटे-छोटे राजवंशों का कम समय तक के राज| इसी दौरान बौद्ध औऱ जैन धर्म का उदय-प्रचार/प्रसार को भारत के प्राचीन इतिहास के तौर पर जाना जाता है| प्राचीन इतिहास के प्रथम प्रामाणिक तिथि सिकंदर के आक्रमण(326 BC) को को माना जाता है|

मध्यकालीन भारत

गुप्तकालीन सत्ता के कमजोर होते ही भारत बहुत सारे टुकड़ों में बिखर गया औऱ फिर मुस्लिम आक्रमणों ने उसे कभी बड़े स्वरूप में नही उभरने दिया|
मुस्लिम साम्राज्यवाद से यूरोपियन साम्राज्यवाद के बीच का समय भारत का मध्यकालीन इतिहास कहलाता है जिमसें विभिन्न राजपूत राजवंशों ने मुस्लिम आक्रांताओं से बहुत विनाशक युद्ध लड़े|
सल्तनत काल और मुगल काल में देश और धर्म की लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर राजवंश राजपूत ही थे और इनके अलावा मराठाओ औऱ सिक्खों का प्रतिरोध भी देखने को मिला| राजपूतों की वीरता और कूटनीतिक कौशल से भारत में आकर इस्लाम की आंधी न केवल थम गई बल्कि समाप्त भी हो गयी|
भारत में आकर इस्लाम का प्रसार आगे पूर्व की और नही बढ़ पाया औऱ इस्लामी सत्ता ने बिना भारत का पूर्ण इस्लामीकरण किये इसे अपना घर मानकर सैंकड़ो साल केंद्रीय सत्ता पर अपना अधिकार जमाएं रखा| राजपूतों के बलिदान औऱ संघर्ष ने इस देश और धर्म के मूल स्वरूप को अक्षुण्ण रखा|

आधुनिक भारत

मुगल सत्ता के पतन,यूरोपीय शक्तियों के प्रभुत्व और देश के आजादी के संघर्ष को आधुनिक इतिहास के तौर पर जाना जाता है|व्यापार के लिए आये यूरोपियन व्यापारियों ने कैसे देश की राजनीतिक सत्ता पर अधिकार जमा लिया और फिर देश की जनता ने कैसे खदेड़ भगाया,इस रोचक घटनाचक्र को आधुनिक इतिहास में पढ़ा औऱ पढ़ाया जाता हैं|

संक्षेप सार

मोटे तौर पर इन्हीं तीन कालखंडों में बांटकर भारत के इतिहास को पढ़ा जाता है|
प्राचीन भारत(सिंधु सभ्यता से लेकर गुप्तकाल तक) के बारे में जो जानकारियां है वे बहुत स्पष्ट नही है| उस समय के बारे में हर बात का प्रामाणिक साक्ष्य जुटाना बहुत मुश्किल औऱ कभी कभी असंभव हो जाता है किंतु उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एक तार्किक निष्कर्ष तो निकाला ही जा सकता है औऱ उसी आधार पर भारत का ये कालखण्ड बहुत गौरवशाली कहा जाता है
भारत को सोने की चिड़िया औऱ विश्वगुरु जैसी उपाधियों इसी काल में प्राप्त हुई|सोने-चांदी के सिक्के, उन्नत सभ्यता, उच्च बौद्धिकता वाले ग्रंथ औऱ बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रसार ने इन उपाधियों को वाजिब स्वरूप प्रदान किया|
मध्यकालीन भारत(इस्लामी प्रसार क्रांति औऱ राजपूतों का संघर्ष) ये काल भारत की वीरता औऱ संघर्ष को तो इंगित करता है किंतु इस दौरान भारत ने अपने बौद्धिक और सांस्कृतिक वैभव को खो दिया|
शुक्र है राजपूतों-मराठाओ और सिक्खों के संघर्ष का अन्यथा इस्लाम की प्रसार आंधी इस पूरे देश का इस्लामीकरण कर चुकी होती| इन्हीं के संघर्ष का परिणाम है कि हर जगह साल दो साल में पूर्ण इस्लामीकरण कर लेने वाली संस्कृति में सैंकड़ों साल के बाद भी भारत अपने मूल स्वरूप को बचाने में सफल रहा|
आधुनिक भारत(अंग्रेजों से मुक्ति का संघर्ष) इस काल के तो सभी सबूत बहुतायत में उपलब्ध है किंतु इसे देश का दुर्भाग्य ही माना जाना चाहिए कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए इस काल को कलंकित और जनता को भ्रमित करने से नही चूकते|
आगामी ब्लॉग में भारत के इतिहास पर जो विवाद और उसे विकृत करने के प्रयास है उन पर चर्चा करेंगे|

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