Real Character vs Impersonation : रामनवमी विशेष

तमाशे दिखाने वाला एक बहरूपिया तरह-तरह की भूमिकाएं (role) करता है| वह एक दिन राम बन जाता है, दूसरे दिन हनुमान और वो ही शख्स अगले दिन रावण का भी रूप धर लेता है किंतु वो होता इनमें से कुछ भी नही..असलियत उसकी बहरूपियापन ही है| इसी तरह दुनिया में अधिकतर लोग तरह-तरह की भूमिकाएं अदा करते है किंतु उनका असल स्वरूप क्या है वो कई बार उन्हें खुद भी समझ नही आता|
ram ka struggle
किसी का चित्र चुराकर उस तरह का भेष धारण कर लेना, भाषा (संवाद) को पढ़कर / सीखकर उसकी नकल कर लेना, पहनावा अपना और एक श्रेष्ठ जीवन शैली की ऊपरी नकल कर लेने में कोई बहुत बड़ी रॉकेट साइंस नही है असल में ये ही काम तो एक बहरूपिया करता है| किसी महान व्यक्तित्व की ऊपरी नकल असल आचरण नही होता है|
तो फिर वो क्या कारण है जो किसी इंसान को राम जैसी महानता का मार्ग दिखा सके? तो इसका जवाब इस तथ्य में छिपा है कि आप विचार करिए कि राम को आखिर महान किन कारणों ने बनाया?
उनके कुल-खानदान ने? उनकी वेषभूषा ने?उनकी बोली-भाषा ने? इन सबका जवाब है,स्पष्ट रूप से ना है| बहरूपिये को उसके सिर्फ शानदार अभिनय के दम पर राम मान लेना स्वयं भगवान राम का अपमान है| राम कोई ओढ़ा हुआ आचरण नही बल्कि अंदरूनी तौर पर जीने की एक जीवन शैली का नाम है| राम होना या राममय होना कोई फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता नही है जैसे अक्सर धर्म के नाम पर बाबा लोग कर लेते है और बहुत ही बेढंगा जीवन जीते रहते है| राम को राम बनाया उनके संघर्ष ने, उनके कर्मों ने, उनके पुरुषार्थ ने न कि पद-पैसा-चमक दमक औऱ सिर्फ कुल-खानदान ने|

चित्र या चरित्र

लोग ऊपरी चीजें देखते है और उनकी नकल भी ऊपरी तौर पर कर लेते है|ऐसा करके वे सोचते है उनका जीवन धर्ममय है,उन्हें राम जैसी महानता नसीब हो सकती है या वे राम की बड़े भक्त है| मूल बात चित्र नही चरित्र है| चित्र की नकल हो सकती है वो सबसे आसान काम है जबकि चरित्र जीना पड़ता है जो बहुत मुश्किल है| ऊपरी आवरण की नकल और भीतर से किसी के जैसा बन जाना,ये दोनों बहुत अलग बातें है जिनमें जमीन-आसमान का फर्क है| इन्हीं कारणों से धर्म के कर्मकांड की आलोचना की जाती है|ऐसा नही है कि कर्मकांड हमेशा ही निरर्थक औऱ बेतुके होते है पर उनमें सबसे बड़ा खतरा ये ही है कि अधिकतर लोग उन्हीं में उलझकर रह जाते है| कर्मकांड धर्म के मार्ग पर चलने के माध्यम तो हो सकते है किन्तु वे धर्म नही है| जैसे आप बस में बैठकर अपने गन्तव्य पर पहुँच सकते है किंतु कोई बस को ही गन्तव्य समझने लगे तो ये उसकी बेवकूफी होगी कि नहीं? इसलिये भीतरी बात है हमारे हृदयः के एहसास न कि बाहरी कर्मकांड| दिल के एहसास जगाने और उन्हें गाढ़ा करने के लिए कर्मकांड किये जायें वहां तक तो ठीक किन्तु बिना हृदय के योग से किये गए कर्मकांड निश्चित तौर पर निरर्थक है|
अक्सर लोग नाम तो राम का लेते है किंतु काम रावण जैसे करते है| जो राम जैसा भेष धरकर या राम नाम की ओट लेकर अधार्मिक काम करते है वे राम की असली दुश्मन है| ऐसे लोग धर्म और राम नाम दोनों की दुर्दशा करने का काम करते है| धर्म नही मानना और आस्तिक होना कोई बहुत बड़ा पाप नही बल्कि धर्म को मानते हुए पाप करना अक्षम्य अपराध है, सबसे बड़ा पाप है| असल में सच्चा आस्तिक होने का मार्ग नास्तिकता के पास होकर ही जाता है| जिसने आंख मीचकर आस्तिकता को स्वीकार कर लिया उसकी आस्तिकता का भी कोई ज्यादा मोल नही है वो किसी भी विपरीत परिस्थिति में आस्तिकता से मुँह मोड़ सकता है जबकि कोई नास्तिक समझ के बाद आस्तिक हुआ है तो वो मौत के मुँह में भी पूरी श्रद्धा के साथ अपने विश्वास पर कायम रहेगा|
राम नवमी विशेष
धर्म का चोला ओढ़कर फर्जीवाड़ा करना, अधर्म के आधार पर अपना अनैतिक साम्राज्य खड़ा करना,हत्याएं करना और बलात्कार करना ऐसे कामों को धर्म के नाम पर कैसे जायज ठहराया जा सकता है???कोई व्यक्ति ये दावा करें कि वो धार्मिक व्यक्ति है,उसने धर्म की रक्षा की है और उसके कर्म नीच/फर्जी हो तो ये फिर कैसी मिशाल होगी? मै नही समझता कि आम जनता को इन झूठे दावों पर एतबार करना चाहिए| आप जनता सिर्फ ये देखें कि क्या राम का जीवन ऐसा ही था जिसमें झूठ-बेईमानी और फर्जीवाड़ा शामिल रहा हो?
सही बात ये है कि अधर्म सीधा खड़ा नही हो सकता,वो मुँह उघाड़ कर आप जनता के सामने खड़ा नही हो सकता इसलिए वो धर्म की आड़ लेता है|समझदार जनता का ये दायित्व है कि वो रंगा-सियारों के मुँह का नकाब हटाकर देख लें| वो दावों पर नही बल्कि उनके कर्मों पर जाएं और उसकी तुलना राम के चरित्र-संघर्ष और व्यक्तित्व से करें|
जो लोग धर्म के नाम पर फर्जी/झूठे लोगों के बचाव में खड़े हो जाते है ये दलील लेकर कि बाबाओं पर निशाना लगाना सनातन का अपमान है|
नहीं ये निशाना सनातन पर नही है और न किसी बाबा पर बल्कि ये तो अनैतिक रंगा सियारों पर है जो अगर बेनकाब नही हुए तो आपके सनातन की बैंड बजा देंगे
इस विषय में हाल-फिलहाल के दो उदाहरण आपके सामने रखना चाहूंगा|हिंदुस्तान में दो बड़े नाम वाले बाबा थे जिनके आगे राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री, बड़े IAS-IPS,कलाकार, बिजनेसमैन और तमाम पढ़ी-लिखी जनता नतमस्तक थी|गाहे-बगाहे उनके बारे में संदिग्ध खबरें बाहर निकल कर आती थी किन्तु लोगों ने धर्म की अफीम इस कदर चांटी हुई थी कि उन खबरों से उनपर कोई असर नही पड़ता था| बाद में वे दोनों हत्यारे और बलात्कारी सिद्ध हुए| जमीनों को हड़पना, आर्थिक साम्राज्य खड़ा करना औऱ गुंडागर्दी के किस्से तो बहुत छोटे आरोप है पर हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध क्या धर्म की आड़ में क्षम्य है?
राम नवमी विशेष
आप धार्मिक वस्त्र धारण किये हुए हो,कभी-जभी सफाई अभियान कर देते हो और कुछ लोककल्याण के कामों में हाथ बंटा लेते हो तो क्या आपको हत्या और बलात्कार करने की छूट दे दी जाएं? आप जनता को सोचना चाहिए कि वो सोचे कि इस तरह का आचरण उनके कौनसे भगवान या देवता का था? मेरा उत्तर है किसी का भी नही और आपका उत्तर भी ये है जो मेरा है तो फिर आप किस आधार पर हर बार इन फर्जी धर्म के ठेकेदारों से ठगे जाते हो?
राम सबके लिये खुली किताब है इसलिए आप स्वयं उनसे साक्षात्कार करो| जो राम के नाम पर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे है उन रंगा सियारों को पहचानों|

Real Character v/s Impersonation(Acting) (Ram Navami Special)

रामनवमी विशेष
An impersonator(Actor) plays different roles in a show. One day he becomes Ram, the next day Hanuman and the next day the same person takes the form of Ravana but he is neither of these… the reality of that person is his impersonation(acting). Similarly, most of the people in the world play different roles but most of them themselves do not understand what their real nature is and what is their reality?
It is not the rocket science to see someone’s picture and assume that kind of disguise, to copy the language (dialogue) by reading/learning the particular language, to copy someone’s clothing and a superior lifestyle, in fact these are the things that are done by an impostor(Actor). Superficial imitation of a great personality is not the real character.
Then what are the reasons that can show a person the path to greatness like Ram? The answer lies in the fact that you should consider what were the reasons that made Ram great?
By his linage of family? His dressing-sense?His speech? The answer to all this is clearly no. It is an insult to Lord Ram himself to accept an impersonator(Actor) as Ram just on the basis of his brilliant acting. Ram is not a superficial behavior but is the name of a lifestyle to be lived internally. Being Ram or being like Ram is not a fancy dress competition like Baba-type people often do in the name of religion and live a very awkward life. What made Ram godly , was his struggle, his deeds, his efforts and rather than his position, money, pomp and show or just his family-lineage.
People look at superficial things and imitate them superficially. By doing this they think that their life is religious, they can get greatness like Ram or they are great devotees of Ram. The main thing is not the picture but the character. The picture can be copied, that is the easiest task whereas the character has to be lived which is very difficult. Imitation of the outer form of life and becoming like someone from within, these two are very different things.This is the reason thats why the rituals of religion are criticized. It is not that rituals are always meaningless and absurd, but the biggest danger in them is that most of the people remain entangled in them. Rituals may be a means to follow the path of religion but they are not religion. Like you can reach your destination by sitting in a bus, but if someone starts considering the bus as his destination, it would be foolish of him ? That’s why it’s an internal matter, the feelings of our heart, not external rituals. It is fine to perform rituals to awaken and deepen the feelings of the heart, but rituals performed without the the emotions in the heart are definitely meaningless.
Often people take the name of Ram but act like Ravana. Those who disguise themselves as the devotee of Ram and do irreligious acts in the name of Ram are the real enemies of Ram. Such people work to bring bad-name to both religion and the name of Ram. Not believing in religion and being an atheist is not a big sin, but committing sin while believing in religion is an unforgivable crime, it is the biggest sin. In fact, the path to being a true believer lies through atheism. The one who has blindly accepted theism, his theism also does not have much value, he can turn away from theism in any adverse situation, whereas if an atheist has become a theist after understanding, then he can continue his work with full devotion even in the face of death. This type of person will remain steadfast in his faith.
रामनवमी विशेष
How can committing fraud under the guise of religion, building one’s immoral empire on the basis of unrighteousness, committing murders and raping be justified in the name of religion??? If a person claims that he is a religious person, his actions are vile/fake, then what kind of example will this be? I don’t think the general public should believe these false claims. You all just see whether Ram’s life was such that it involved lies, dishonesty and fraud?
The right thing is that unrighteousness cannot stand straight on its own feet, it cannot stand before the public with its face exposed, hence it takes the cover of religion. It is the responsibility of the sensible public to remove the mask from the faces of the jackals and look at them. They should not look at their claims but look at their actions and compare them with Ram’s character, struggle and personality.
Those who stand in defence of fake/liar people in the name of religion with the argument that targeting Babas is an insult to Sanatan.
No, this target is not on Sanatan nor on any Baba, rather it is on unethical colored-jackals who, if not exposed, will destroy your Sanatan.
I would like to put two recent examples in front of you in this regard. There were two big name (Babas) in India before whom the President, Prime Minister, Chief Minister, IAS-IPS, artists, businessmen and all the educated people bowed down. Suspicious news about him used to come out, but people were so addicted to the opium of religion that those news had no effect on them. Later both of them were proved to be murderers and rapists. Grabbing land, building an economic empire and stories of hooliganism are very minor charges, but rape and murder are heinous crimes.Are murder and rape forgivable under the guise of religion?
You are wearing religious clothes, sometimes do cleanliness drives and help in some public welfare works, then should you be given permission to murder and rape? You people should think that which of their Gods or Goddesses had this kind of conduct? My answer is nobody’s and your answer is also mine, then on what basis do you get cheated every time by these contractors of fake religion?
Ram is open to all like a open book. You must recognise the people who are busy in fulfilling their vested interest in the name of Lord Rama.

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