Man on the moon : Myth or Reality

Man on the moon

चंद्रमा पर किसी भी इंसान का पहला कदम एक बहुत बड़ी और अभूतपूर्व सफलता थी| नील आर्मस्ट्रांग ने भी इसे ये कहकर परिभाषित किया था “यह इंसान का एक छोटा कदम मानवता की बडी छलांग है|” 21 जुलाई-1969 के बाद इस ऐतिहासिक सफलता को आज करीब 50-55 साल बीत गए किन्तु आज तक उस सफलता को दोबारा किसी के भी द्वारा दोहराया नही जा सका है| ऐसे में ये प्रश्न मन में स्वतः ही खड़ा होता है कि क्या सचमुच में कोई इंसान चंद्रमा पर पहुँच पाया था? इस विषय में समय समय पर कई लोगों ने गंभीर सवाल खड़े किए थे आज हम उन्ही सवालों के साथ इस सफलता की जाँच-पड़ताल करेंगे|
Man on the moon

शीत-युद्ध का परिणाम थी अंतरिक्ष की दौड़

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान में परमाणु बम गिराकर जिस तरह से अपनी सर्वोच्चता स्थापित की उससे पूरा विश्व सहम गया| अमेरिका द्वारा परमाणु बम के प्रयोग के बाद अब युद्ध करने की हिम्मत तो किसी भी देश या देशों के समूह में नही बची थी किन्तु विश्व दो विचारधाराओं में बंट गया था जिनमें एक समूह का नेतृत्व रूस के पास और दूसरे समूह का नेतृत्व अमेरिका के पास था|
युद्ध में अमेरिका की सर्वोच्चता के बाद अब इन दो गुटों में विज्ञान-तकनीक और व्यापार की दुनिया में सर्वोच्चता की प्रतिस्पर्धा शुरू हुई जिसे शीत-युद्ध के तौर पर जाना जाता है| विज्ञान के क्षेत्र में परमाणु बम का बनना एक बड़ी और युगान्तकारी घटना थी जिसके जवाब में अब रूस को विज्ञान के क्षेत्र में कुछ ऐसा करके दिखाना था जिससे उसकी धाक भी पूरी दुनिया में स्थापित हो| इसी प्रतिस्पर्धा में रूस ने 12 अप्रैल-1961 को यूरी गागरिन के तौर पर अंतरिक्ष में पहला इंसान भेजकर तहलका मचा दिया|
अब कुछ बड़ा करने की बारी अमेरिका की थी तो उसने 8 साल की मेहनत और अपार खर्च के बाद 21 जुलाई 1969 के दिन चंद्रमा पर अपना झण्डा लहरा दिया| आज अब उस घटना को करीब 55 साल हो गए किन्तु वो कारनामा न तो कोई अन्य देश कर पाया है और न ही अमेरिका ने फिर कभी उसे दोहराया है तो ऐसे मे मन में ये प्रश्न खड़ा होता है कि क्या वो सफलता वास्तविक थी या कोई कपोल-कल्पना?

चन्द्रमा पर फतह की कहानी

रूस द्वारा अंतरिक्ष में इंसान भेजने की सफलता के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉफ कैनेडी ने 1961 में अपने देश के वैज्ञानिकों और नासा से अपील की कि वे चंद्रमा पर इंसान भेजने की तैयारी करें इसके लिए भी जितना धन और संसाधन चाहिए होंगे उन्हें वे उपलब्ध करवाएंगे| राष्ट्रपति की अपील औऱ सहयोग के बाद अमेरिका का सारा विज्ञान तंत्र इस असंभव लगने वाले मिशन में जुट गया|
ऐसा कहते है कि अमेरिका ने अपने बजट का 60% हिस्सा इस मिशन में लगा दिया और उस समय करीब 25 अरब डॉलर(आज के 300 अरब डॉलर) का खर्च करके आखिर इस चन्द्रमा पर इंसान के मिशन को सफल बना दिया|

कौन-कब-कैसे?

अपोलो-11 अंतरिक्ष यान से तीन लोग- नील आर्मस्ट्रांग, एडविन बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिन्स 20 जुलाई-1969 को चन्द्रमा पर पहुँच जाते है| इनमें से शुरुआती दो लूनर मॉड्यूल के पायलट होते हैं औऱ तीसरे माइकल कॉलिंस कमांड मॉड्यूल के पायलट होते है जिन्हें चंद्रमा पर नही उतरकर यान में ही रहना था|
21 जुलाई को सबसे पहले एडविन बज एल्ड्रिन को चंद्रमा पर उतरना प्रस्तावित होता है किंतु उनकी और का गेट खुल ही नही पाता जिसके कारण नील आर्मस्ट्रांग दूसरे साइड से पहले उतर जाते है और उनका नाम मानवता के इतिहास में अमर हो जाता है|

शक के आधार

इस बड़ी सफलता के बाद जहां विश्व भर में अमेरिका को बधाईयों का तांता लग जाता है वहीं इस सफलता से दूसरे प्रतिस्पर्धी गुट को ईर्ष्या महसूस होती है| दुनिया के तमाम वैज्ञानिक अमेरिका द्वारा जारी चंद्रमा फतह के वीडियो को बार-बार पैनी नज़रों से देखते है|
एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक राल्फ रे अमेरिका द्वारा जारी वीडियो को देखने के बाद निम्न तीन प्रश्न खड़े करके इस वीडियो को किसी स्टूडियो में फिल्माया हुआ फर्जी वीडियो करार देते है:-
👉🏻राल्फ रे पूछते है कि जब चंद्रमा पर हवा है ही नही तो अमेरिका का झंडा वीडियो में लहराता हुआ कैसे नजर आ रहा है?
👉🏻जब अंतरिक्ष मे दिन में तारे दिखाई देते है तो वीडियो में कई बार आसमान नजर आता है किंतु तारे क्यों नजर नही आ रहें?
👉🏻वीडियो में कई बार ऐसा होता है कि जिधर सूरज दिखाई दे रहा है उसी दिशा के अंतरिक्ष-यात्रियों की परछाई बनती नजर आ रही है,ऐसा कैसे संभव है क्या कोई सूर्य से ज्यादा प्रकाशमान वस्तु सूर्य के विपरीत दिशा में मौजूद थी?
ये प्रश्न वीडियो के आधार पर वाजिब और तर्कसंगत प्रश्न है जिनका नासा द्वारा जवाब भी दिया गया है किंतु फिर भी 55 साल तक उस कारनामें को न दोहराया जाना मन में संदेह पैदा करता ही है अन्यथा किसी देश द्वारा विज्ञान की कोई यूनिक खोज की जाती है उसके सालभर के भीतर उससे भी बेहतर वर्जन दूसरे देशों द्वारा खोज लिए जाते है| ऐसा कैसे हुआ कि 55 साल बीत जाने के बाद न तो कोई अन्य देश और न स्वयं अमेरिका इस कारनामें को नही दोहरा पाया?
इसके पीछे का एक प्रमुख कारण जो अक्सर दिया जाता है वह है, बेतहाशा खर्च|
किन्तु कब जिस तरह से कई देशों ने चंद्रमा और मानवरहित यान भेजने में सफलता पाई है उससे देखकर शक करना भी कोई बहुत समझदारी नही होगी किन्तु जब तक कोई दूसरा मानवयुक्त अभियान सफल नही हो जाता तब तक ये शक-सुबहा लोगों के मन मे बने रहेंगे|

Man on the moon: Myth or Reality

The first step by any human being on the Moon was a huge and unprecedented success. Neil Armstrong also defined it by saying “One small step for man is one giant leap for humanity.” After July 21, 1969, about 50-55 years have passed since this historic success, but today, till now that success has not been repeated. In such a situation, this question automatically arises in the mind whether any human being could really reach the Moon? Many people had raised serious questions on this subject from time to time. Today we will investigate this success in the light of that same questions.

The space race was the result of the Cold War

During the Second World War, the entire world was horrified by the way America established its supremacy by dropping the atomic bomb on Japan. After the use of atomic bomb by America, no country or group of countries had the courage to wage war but the world was divided into two ideologies in which the leadership of one group was with Russia and the leadership of the other group was with America
After the supremacy of America in the war, now the competition for supremacy in the world of science-technology and business started between these two groups, which is known as the Cold War. The making of the atomic bomb was a big and revolutionary event in the field of science, in response to which Russia had to do something in the field of science that would establish its influence in the entire world. In this competition, Russia created a stir by sending the first man into space in the form of Yuri Gagarin on 12 April 1961.
Now it was America’s turn to do something big, so after 8 years of hard work and immense expenditure, it hoisted its flag on the Moon on 21 July 1969. Today, almost 55 years have passed since that incident, but neither any other country has been able to do that feat nor America has ever repeated it, so the question arises in the mind whether that success was real or an illusion/imagination?

Story of conquest of the moon

After Russia’s success in sending humans into space, the then US President Geoff Kennedy in 1961 appealed to his country’s scientists and NASA to prepare to send a human to the Moon and for this he would provide all the money and resources required. After the President’s appeal and cooperation, the entire scientific machinery of America got involved in this seemingly impossible mission.
It is said that America invested 60% of its budget in this mission and after spending about 25 billion dollars at that time (today’s 300 billion dollars), it finally made the human mission to the Moon successful.

Who-when-how?

Apollo-11 Three people in the spacecraft – Neil Armstrong, Edwin Buzz Aldrin and Michael Collins reach the Moon on July 20, 1969. The first two of these are the pilots of the lunar module and the third is Michael Collins, the pilot of the command module, who was not supposed to land on the moon but remained in the vehicle.
On July 21, Edwin Buzz Aldrin was the first to propose to land on the Moon, but the gate on his side could not open, due to which Neil Armstrong landed first from the other side and his name became immortal in the history of humanity.

Grounds of suspicion

After this huge success, while America receives a wave of congratulations all over the world, other competing groups feel jealous of this success. All the scientists of the world watch the video of Moon-Mission released by America with keen eyes again and again.
A famous scientist Ralph Ray, after watching the video released by America, raises the following three questions and calls this video a fake video filmed in a studio: –
👉🏻Ralph Ray asks that when there is no air on the Moon, then how is the American flag seen waving in the video?
👉🏻When stars are visible in space during the day, the sky is visible many times in the video but why are the stars not visible?
👉🏻Many times it happens in the video that the shadow of the astronauts is seen forming in the direction where the sun is visible, how is this possible? Was there any object more luminous than the sun present in the direction opposite to the sun?
These questions are reasonable and logical questions based on the video, which have been answered by NASA, but still, not repeating that feat for 55 years creates doubt in the mind, otherwise any unique discovery of science is made by any country. Within a year, even better versions are discovered by other countries. How did it happen that after 55 years, neither any other country nor America itself could repeat this feat??
One of the main reasons behind this which is often given is rampant expenditure.
But looking at the way many countries have succeeded in sending unmanned spacecraft to the moon, it would not be very wise to have doubts, but until another manned mission is successful, these doubts will remain in the minds of people. |

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