Distortion of history Part- 4

Distortion of history (Part-4)

In the previous blog, various opinions related to the origin of Rajputs were analyzed and a logical conclusion was presented. After all the popular opinions, the conclusion came out that it was the Kshatriyas of the Vedic period who were established as Rajputs in the medieval period and they performed the duties (protecting the country and religion) mentioned in the Vedas.
The dignified behavior of Rajputs, the commitment to risk everything for justice, the determination of Rajput women to commit ‘Jauhar’ to protect their character, the determination to win in battle or be martyred (Saka) and to sacrifice themselves for public welfare. These characteristics prove that Rajputs are real representative of Vedic Kshatriya.

Claims of different castes on Kshatriya tradition

More than a dozen dynasties of Rajputs ruled different parts of the country for thousands of years. Rajput kings fought in most of the wars against foreign invaders in the country. A large number of forts, palaces, temples, chhatris, ponds and lakes built by them still exist in different parts of the country.
Thousands of texts, hundreds of inscriptions, and memoirs of hundreds of foreign travelers are testimony to the fact that the level of struggle, sacrifice and sacrifice made by the Rajputs in the defense of this country and religion cannot be seen anywhere else on this earth. For thousands of years, barbaric Islamic attacks continued on this land of India
but they could not completely Islamize this land. Rajputs made such sacrifices in the defense of this country and religion that three of their generations were killed in a war, but they did not leave the path of struggle nor did they remain silent accepting defeat in front of anyone.
Due to this glorious history of Rajputs, foreigners tried to establish their relationship with them. Due to their pious life, high life values and bravery, they were sometimes said to be born from fire and sometimes from the sun. In such a situation, it should not be surprising if other castes within the country try to establish their relationship with the Rajputs.

Pattern of claims

Whenever any caste tries to prove itself as a Kshatriya, it follows two patterns, – First, it picks up any Kshatriya or Rajput character and adds it to itself, like a caste’s claim on Lord Krishna.
Claim on Mihirbhoj and Prithviraj Chauhan and similarly claim on Bharthhari Baba and Baba Ramdev of Runicha. Second; She picks up any one historical fact (which is in her favor) and presents her new theory on the basis of just that one fact. Like this one word/line is written on this page number of a particular book or somewhere else. Once in a while some fact is found in their favor.

Investigation of claims

First Claim – Being a Kshatriya does not mean that you have associated yourself with a great character, for this you have to live a life like that great character for hundreds of years, only then a feeling of respect for you arises in the public mind
The real thing is the character, not the picture. Stealing or copying pictures is a very easy task which even an impostor can do very easily. If people’s actions are like Ravana and they claim to be Ram, then who will accept this? Who will give him respect like Ram? It would be better if they know and implement the duties and life values of an ideal Kshatriya, then some respect can arise for them too.

Second claim

Ten lines from one book or one line from ten books is not the conclusion of history. There are ten opinions before reaching any conclusion but there is only one logical conclusion on which everyone (mostly) has to agree.
Thousands of palaces and forts built by the Rajputs, hundreds of inscriptions, countless coins, stories of their bravery in hundreds of wars, thousands of texts and memoirs of hundreds of foreign travelers testify that the life of the ancient Kshatriyas was compared to that of the Rajputs in medieval India.

Conclusion

Before suddenly staking claim on any one character or dynasty, one must think that every historical event has heads and legs on the basis of which that thing can stand and function. If there is a king or dynasty, then there must be a chain of his in-laws, brother-in-laws and uncles and other kings or dynasties associated with him or did that one fall from the sky?
After this, such people should look at their lifestyle, their gods and goddesses, their customs, their food, their dress, their dialect and what are their ideals. It becomes clear from all these things that whose claim on Kshatriya tradition is logical and whose is not? Even after this, if they want to impersonate others by stealing their culture, clothes, dialect or pictures, then it is their choice.
There will be two big losses for these claimants which they are not able to understand today but will understand later. First, their existing identity (culture) will be destroyed due to imitation. Second, it is also being recorded in history that when did they give up their original identity and from when did they adopt the identity of Neo-Kshatriya?
Distortion of history History of India

इतिहास का विकृतिकरण (पार्ट-4)

पिछले ब्लॉग में राजपूतों की उत्पत्ति से सम्बंधित विभिन्न मतों का विश्लेषण किया गया और उनके आधार पर एक तार्किक निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया| सभी प्रचलित मतों के बाद ये निष्कर्ष निकलकर सामने आया कि वैदिक कालीन क्षत्रिय ही मध्यकाल में राजपूतों के तौर पर स्थापित हुए और उन्होंने वेदों में वर्णित कर्तव्यों(देश-धर्म की रक्षा) का पालन किया
राजपूतों का मर्यादित व्यवहार, न्याय के लिए सर्वस्व दाव पर लगाने की प्रतिबद्धता, राजपूती महिलाओं द्वारा चरित्र की रक्षा के लिए जौहर कर लेने जैसी दृढ़ता,युद्ध में जीत या शहीद होने का संकल्प(साका) और जन-कल्याण के लिए खुद को कुर्बान कर देने का भाव इन्हें प्राचीन क्षत्रियों की भूमिका में पूरी तरह से उपयुक्त पाता है|

क्षत्रिय परंपरा पर विभिन्न जातियों का दावा

राजपूतों के दर्जनभर से ज्यादा राजवंशों ने देश के विभिन्न हिस्सों पर हजारों साल तक राज किया| देश में विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध हुए अधिकतर युद्धों में राजपूत राजाओं ने लड़ाई लड़ी| देश के विभिन्न हिस्सों में उनके द्वारा बनवाये गए बड़ी संख्या में किले, महल,मंदिर,छतरियां,तालाब और झील अभी मौजूद हैं|
हजारों-लाखों ग्रंथ, सैंकड़ो शिलालेख, औऱ सैंकड़ो विदेशी यात्रियों के संस्मरण इस बात की गवाही है कि इस देश और धर्म की रक्षा में जितना संघर्ष, बलिदान औऱ त्याग राजपूतों ने किया है वैसी मिशाल इस पूरी धरती पर कहीं देखने को नहीं मिलेगी|
हजारों साल तक इस भारतभूमि पर बर्बर इस्लामी हमले होते रहे किन्तु इस जमीन का वे पूरी तरह से इस्लामीकरण नही कर सकें| राजपूतों ने इस देश-धर्म की रक्षा में ऐसा बलिदान किया कि उनकी तीन तीन पीढियां एक युद्ध में काम आ गयी किन्तु उन्होंने संघर्ष का रास्ता नही छोड़ा और न किसी के सामने हार मानकर चुप बैठे|
राजपूतों के इसी गौरवशाली इतिहास के कारण विदेशियों ने इनका सम्बंध अपने से जोड़ने का प्रयास किया| इनके पवित्र जीवन, उच्च जीवन मूल्यों और शूरवीरता के कारण इन्हें कभी अग्नि से उत्पन्न तो कभी सूर्य से उत्पन्न बताया गया| ऐसे में देश के अंदर अन्य जातियां यदि राजपूतों से अपना संबंध स्थापित करने का प्रयास करें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नही होनी चाहिए|

दावों का पैटर्न

जब भी कोई जाति अपने आप को क्षत्रिय साबित करने का प्रयास करती है तो वह दो पैटर्न अपनाती है,- पहला;वह किसी क्षत्रिय या राजपूत चरित्र को उठाकर अपने से जोड़ लेती हैं जैसे भगवान कृष्ण पर एक जाति का दावा,ऐसे ही मिहिरभोज औऱ पृथ्वीराज चौहान पर दावा और इसी तरह से भर्तहरि बाबा और रूणिचा के धनी बाबा रामदेव पर दावा|
दूसरा; वह किसी एक ऐतिहासिक तथ्य(जो उसके पक्ष का है) उसे उठाकर बस उस एक तथ्य के आधार पर ही अपना नया सिद्धांत प्रस्तुत कर देती है| जैसे फलां ग्रंथ के इस पेज नंबर पर ये एक शब्द/पंक्ति लिखी हुई है या कहीं कोई एकाध उनके पक्ष का कोई तथ्य मिल जाता है|

दावों की पड़ताल

पहला दावा -किसी महान चरित्र को अपने से जोड़ लेना क्षत्रिय होना नही होता है इसके लिए उस महान चरित्र के जैसा जीवन सैंकड़ो सालों तक जीना पड़ता है तब आपके प्रति जनमानस में एक आदर का भाव पैदा होता है| असली बात चित्र नहीं चरित्र है|
चित्रों को चुराना या उनकी नकल बेहद आसान काम है जिसे एक बहरूपिया भी बहुत आसानी से कर लेता है| लोगों के कर्म रावण जैसे होते है और वे राम होने का दावा करते है तो कौन इस बात को स्वीकार कर लेगा? कौन उन्हें राम के जैसा आदर भाव दे देगा? बेहतर ये ही कि वे एक आदर्श क्षत्रिय के कर्तव्यों औऱ जीवन मूल्यों को जाने और जीवन में उतारे तो कोई सम्मान उनके लिए भी पैदा हो सकता है|

दूसरा दावा

एक किताब की दस लाइन या दस किताबों की एक एक लाइन इतिहास का निष्कर्ष नही होते| किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने से पहले दस मत होते है किंतु उनका तार्किक निष्कर्ष कोई एक होता है जिसपर फिर सबको(अधिकतर) को सहमत होना पड़ता है|
राजपूतों द्वारा बनवाये गए हजारों महल और किले,सैंकड़ो शिलालेख, अनगिनत सिक्के, सैंकड़ो युद्धों में उनकी वीरता के किस्से, हजारों ग्रंथ औऱ सैंकड़ो विदेशी यात्रियों के संस्मरण इस बात की गवाही देते है कि प्राचीन क्षत्रियों का जो जीवन था उसे मध्यकालीन भारत मे राजपूतों के द्वारा जिया गया|

निष्कर्ष

अचानक से किसी एक चरित्र या राजवंश पर दावा ठोकने से पहले ये जरूर सोच लेना चाहिए कि हर ऐतिहासिक घटना के सिर-पैर होते है जिनके आधार पर ही वो बात खड़ी हो पाती और चल पाती है| एक राजा या राजवंश हुआ तो उसके ससुराल पक्ष,जीजा-फूफा पक्ष और उससे जुड़े अन्य राजा या राजवंशो की श्रृंखला भी तो होनी चाहिए या वो कोई एक आसमान में से टपक पड़ा?
इसके बाद ऐसे लोगों को अपनी जीवनशैली देखनी चाहिए,इनके देवी-देवता,इनके रीति-रिवाज,इनका खानपान,इनका पहनावा,इनकी बोली-भाषा औऱ इनके आदर्श क्या है इनका भी एक बार आँकलन कर लेना चाहिए| इन सब बातों से साफ हो जाता है कि क्षत्रिय परम्परा पर किसका दावा तर्कसंगत है और किसका नही? इसके बाद भी इन्हें दूसरों की संस्कृति, पहनावा,बोली-भाषा या चित्रों को चुराकर बहरूपियापन करना है तो ये इनकी मर्जी|
इसके दो बड़े नुकसान इन दावा करने वालो को होंगे जो इन्हें आज तो समझ नही आ रहा किन्तु बाद में समझ आएगा| पहला,इनकी अब जो मौजूदा पहचान(संस्कृति) है वो नकल के चक्कर मे खत्म हो जाएगी| दूसरा,इतिहास में ये भी दर्ज हो रहा है कि इन्होंने अपनी मूल पहचान को कब तिलांजलि दी और ये कब से नव-क्षत्रिय की पहचान में शामिल हुए?

10 thoughts on “Distortion of history Part- 4”

  1. Какие существуют противопоказания для ботокса? Противопоказания включают аллергические реакции на компоненты препарата, инфекции в местах инъекций и некоторые хронические заболевания
    почему после ботокса опустились веки http://botox.b-tox.ru/ .

    Reply
  2. Можно ли применять биоревитализацию при беременности? Биоревитализацию не рекомендуется применять во время беременности и кормления грудью
    плинест биоревитализация цена http://biorevitalization.com.ru/ .

    Reply

Leave a Comment