Distortion of History Part- 2

1. Was India a World-Guru and a Golden Bird? When and why did it get these titles?
2. Is the claim of antiquity and greatness of Indian civilization and culture fair/justified?
3.Origin of Rajputs and claims of different castes on Kshatriya tradition
4. Role of Congress and Gandhi in the independence of the country, their relations with the Britishers and revolutionaries.
5. Governments and policies of Jawaharlal Nehru after independence.

👉🏻 Was India the ‘World-Guru’ and the ‘Golden Bird’? When and why did it get these titles?

The splendor of ancient India is a matter of pride for the entire country. Be it the advanced urban system of the Indus Valley Civilization or the Vasudhaiva Kutumbakam of the Vedic period and the idea of global welfare with ‘Om Sarve Bhavantu Sukhinah Sarve Santu Niramayah‘.
All these ideas worked to give a different level of height to Indian philosophy, civilization and culture. When the world was living in primitive times, India was setting the highest standards of culture and civilization.
After the Vedic period, incarnation type great men like Mahavir and Buddha made the sun of spiritual knowledge rise on the land of India whose light illuminated the entire world.
The distortion of History What were the gifts from India to the whole world
Knowledge-seeking people from all over the world came to India and hundreds of monks from India went to different countries of the world with this spiritual knowledge. Many scholars also say that Jesus Christ himself came to India (Kashmir) for some time for spiritual knowledge and after leaving from here, he propagated Christianity.
Apart from this spiritual glory, India made so much progress in the field of-science-astrology-Ayurveda-Yoga and medicine.During that period, the world had no option but to learn from India. When the world had not invented a pill to cure headache, then Sushruta had described the process of surgery in his book (Sushruta Samhita)
When the world did not have a scale to measure the height of a person. At that time, the scientific type sages of India had given an accurate estimate of the distance of the Moon and the Sun from the Earth. When the world did not know the calculations of dates, our people used to tell a year in advance when the lunar eclipse and the solar eclipse would occur.
Along with this excellence in science, India was also a major economic power of that time. The circulation of gold and silver coins and the presence of currencies from all over the world in India indicate that India was a prosperous economic power and trading centre.
There is mention of the advanced glory of India in foreign records, texts and memoirs of foreign travelers, otherwise why would a citizen of another country praise us?
People from all over the world, whether they are world conquerors like Alexander or plunderers like Changej Khan and Nadir Shah. Be it businessmen from European countries or saints and mahatmas who are thirsty for knowledge and science. The attraction of all these was India.
The reason for this was India’s spiritual splendor and economic prosperity. Due to these reasons, India got titles like Vishwaguru and Golden Bird. The reason for India’s respect is our feeling of world welfare and our vast thinking of considering the entire earth as our family.

2.Is the claim of antiquity and greatness of Indian civilization and culture fair/justified?

No one should have any kind of doubt on the claim of antiquity and greatness of India’s culture and civilization. I say this for two reasons, firstly, will the culture and civilization that came first be the first to reach its peak? Is there any doubt that India’s civilization and culture has guided the world like a guru?
The reason for India’s respect in the world is its high and sublime civilization and culture. Secondly, the people of India had forgotten the civilization and culture of India after the Islamic invasions and European plunder.
The people of India have been given the knowledge of their antiquity and greatness by these foreign explorers who considered India inferior for hundreds of years.

इतिहास का विकृतिकरण
(पार्ट-2)

वर्तमान में इतिहास को लेकर जो विवाद खड़े किए जाते है उनमें से कुछ खास इस प्रकार से है:
1 .क्या भारत विश्व-गुरु और सोने की चिड़िया था ? ये उपाधियां कब और क्यों मिली?
2. भारतीय सभ्यता और संस्कृति की प्राचीनता और महानता का दावा उचित/वाजिब है?
3. *राजपूतों की उत्पत्ति और क्षत्रिय परंपरा पर विभिन्न जातियों का दावा|
4.देश की आजादी में कांग्रेस और गांधी की भूमिका,उनका अंग्रेजो औऱ क्रांतिकारियों के साथ संबंध|
5. आजादी के बाद सरकारें और जवाहरलाल नेहरू की नीतियां|

👉🏻 क्या भारत विश्व-गुरु और सोने की चिड़िया था ? ये उपाधियां कब और क्यों मिली?

प्राचीन भारत का वैभव पूरे देश के लिए गौरव का विषय हैं| चाहे वह सिंधु सभ्यता की उन्नत नगरीय व्यवस्था हो या वैदिक काल की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ औऱ ‘ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः’ वाली वैश्विक कल्याण की सोच|
इन सब ने भारतीय दर्शन,सभ्यता औऱ संस्कृति को एक अलग ही स्तर की उच्चता देने का काम किया| दुनिया जब आदिम काल में जी रही थी तब भारत संस्कृति औऱ सभ्यता के उच्चतम प्रतिमान स्थापित कर रहा था|
वैदिक काल के बाद महावीर औऱ बुद्ध जैसे अवतार टाइप महापुरुषों ने आध्यात्मिक ज्ञान का सूरज भारत की भूमि पर उदय करवा दिया जिसके प्रकाश से पूरी दुनिया आलोकित हुई| संसारभर के ज्ञान पिपासु लोग भारत आये औऱ भारत से सैंकड़ो भिक्षु इस आध्यात्मिक ज्ञान को लेकर दुनिया की विभिन्न देशों में गये|
कई विद्वानों का ये भी कहना है स्वयं ईसा मसीह आध्यात्मिक ज्ञान के लिए कुछ समय भारत(कश्मीर)आकर रहें औऱ यहाँ से जाने के बाद उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया|
The distortion of History What were the gifts from India to the whole world
इस आध्यात्मिक वैभव के अतिरिक्त भारत ने उस काल में ज्ञान-विज्ञान-ज्योतिष-आयुर्वेद-योग और चिकित्सा के क्षेत्र में इतनी प्रगति की कि दुनिया के पास भारत से सीखने के अतिरिक्त कोई विकल्प ही नही था| जब दुनिया मे सिर दर्द को सही करने वाली गोली का आविष्कार नही किया था तब सुश्रुत ने अपने ग्रंथ(सुश्रुत संहिता) में शल्य क्रिया की प्रक्रिया का वर्णन कर दिया था
जब दुनिया के पास व्यक्ति की लंबाई को नापने का पैमाना नही था तब भारत के वैज्ञानिक टाइप ऋषि-मुनियों ने धरती से चांद और सूरज की दूरी का ठीक ठीक अनुमान दे दिया था| जब दुनिया तारीखों का हिसाब-किताब नही जानती थी तब हमारे लोग साल भर पहले ये बता देते थे कि कब चंद्रग्रहण होगा और कब सूर्यग्रहण?
इस ज्ञान-विज्ञान की उत्कृष्टता के साथ भारत उस समय की बड़ी आर्थिक शक्ति भी था| सोने-चांदी के सिक्कों का प्रचलन औऱ भारत में दुनियाभर की मुद्राओं की उपस्थिति ये संकेत है कि भारत एक समृद्ध आर्थिक शक्ति और व्यापारिक केंद्र था| विदेशी अभिलेखों,ग्रंथों और विदेशी यात्रियों के संस्मरणों में भारत के उन्नत वैभव का जिक्र है अन्याथा दूसरे देश का नागरिक हमारी प्रशंसा क्यों करता?
पूरी दुनिया के लोग चाहे वो सिकंदर जैसे विश्व विजेता हो या चंगेज खां और नादिरशाह जैसे लूटेरे हो| चाहे वे यूरोपियन देश के व्यापारी हो या ज्ञान-विज्ञान पिपासु संत-महात्मा लोग| इन सबका आकर्षण भारत रहा| इसका कारण था
भारत का आध्यात्मिक वैभव और आर्थिक संपन्नता| इन्ही कारणों के चलते भारत को विश्वगुरु और सोने की चिड़िया जैसी उपाधियां मिली| भारत की इज्जत का कारण हमारी विश्व कल्याण की भावना और पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानने वाली विराट सोच रही|

2.भारतीय सभ्यता और संस्कृति की प्राचीनता और महानता का दावा उचित/वाजिब है?

भारत की संस्कृति औऱ सभ्यता के प्राचीनता औऱ महानता के दावे पर तो किसी को कोई किसी भी प्रकार का शक होना ही नही चाहिए| ऐसा मैं दो कारणों से कहता हूं,एक तो जो संस्कृति औऱ सभ्यता पहले आई होगी वो ही तो सबसे पहले अपने उत्कर्ष को छुएगी?
इस विषय में क्या शक है कि भारत के सभ्यता औऱ संस्कृति ने दुनिया का एक गुरु की तरह मार्गदर्शन किया है?भारत की दुनिया में इज्जत का कारण उसकी उच्च और उद्दात सभ्यता औऱ संस्कृति ही तो है| दूसरा,भारत की सभ्यता औऱ संस्कृति को भारत के लोग तो इस्लामिक आक्रमणों औऱ यूरोपियन लूट के बाद भुला चुके थे| भारत के लोगों को उनकी प्राचीनता और महानता का पता इन्हीं विदेशी खोजकर्ताओं ने दिया है जो भारत को सैंकड़ो साल तक दीन-हीन मानते रहे थे|

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