The soul of Indian philosophy

The soul of Indian Philosophy

The feeling of ‘Vasudhaiv Kutumbkam’ (The whole world is one family) & ‘Sarve Santu Sukhinah-Sarve Santu Niramaya’ (May all the people be happy-May all the people be healthy) are the soul of Indian Culture & Indian Philosophy.

Vasudhaiv Kutumbkam

Its how beautiful to think the whole universe as one family and see all the living-beings happy and healthy.No one can feel low and sad when some person is surrounded by a lot of cheerful people even when he/she is in adverse condition.This idea of Indian Culture & Philosophy ensures peace of mind,joy in heart and good health for every person of the world.
Indian Philosophy वसुधैव कुटुंबकम
There is the line of thought that believes that things look more attractive when these are polished on the surface while Indian line of thought believes in bringing change to the core of the things.The financial and material support is a great thing but it can’t replace the emotional and spiritual support. When one sees the world as a family,the most of the problems are automatically solved. When every person lives and works for the welfare of the universe,the world becomes the best place to live in.

‘Sarve Santu Sukhinah-Sarve Santu Niramaya’

The thought of world as a family and the wish of well-being for all are the fundamental principles that made India respectable as a ‘Vishwa-Guru’. Indian people consider birds, animals and trees as the part of their own family.The life-style of Indian people ensures welfare for every living being on on the earth. This life style of peace and harmony led India to become the Golden Bird (‘Sone ki Chiriya”) in ancient time.
The example of India is the best case to learn the way of life.These are the best gifts to the whole world from India.

भारतीय दर्शन की आत्मा

‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरा विश्व एक परिवार है) और ‘सर्वे संतु सुखिनः-सर्वे संतु निरामया’ (सभी लोग सुखी रहें-सभी लोग स्वस्थ रहें) की भावना भारतीय संस्कृति और दर्शन की आत्मा है|

वसुधैव कुटुंबकम

पूरे ब्रह्मांड को एक परिवार के रूप में देखना और सभी जीवित प्राणियों को खुश और स्वस्थ रखने का भाव कितना सुंदर है। जब कोई व्यक्ति प्रतिकूल स्थिति में भी बहुत सारे खुशमिजाज लोगों से घिरा होता है, तो वो कभी उदास और दुखी महसूस नहीं कर सकता है। भारतीय संस्कृति और दर्शन का यह विचार दुनिया के हर व्यक्ति के लिए मन की शांति, दिल में खुशी और अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है।
एक ऐसी विचारधारा है जो मानती है कि चीजें तब अधिक आकर्षक लगती हैं जब उन्हें सतह पर निखारा जाता है जबकि भारतीय विचारधारा चीजों के मूल में बदलाव लाने में विश्वास करती है। वित्तीय और भौतिक उत्थान एक अच्छी बात है लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि भावनात्मक और आध्यात्मिक उत्थान के बिना जीवन खुशहाल बन जायें| जब कोई दुनिया को एक परिवार के रूप में देखता है, तो अधिकांश समस्याएं स्वतः ही हल हो जाती हैं। जब प्रत्येक व्यक्ति ब्रह्मांड के कल्याण के लिए जीता है और उसके लिए काम करता है, तो दुनिया रहने के लिए सबसे अच्छी जगह बन जाती है।

‘सर्वे सन्तु सुखिनः-सर्वे सन्तु निरामया’

विश्व को एक परिवार मानने का विचार और सभी के कल्याण की कामना ऐसे मूलभूत सिद्धांत हैं जिन्होंने भारत को ‘विश्व-गुरु’ के रूप में सम्माननीय बनाया है। भारतीय लोग पक्षियों, जानवरों और पेड़ों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। भारतीय लोगों की जीवन शैली पृथ्वी पर हर जीवित प्राणी के लिए कल्याण सुनिश्चित करती है। शांति और सद्भाव की इस जीवन शैली ने भारत को प्राचीन समय में सोने की चिड़िया (‘सोने की चिड़िया’) बना दिया।
जीवन का तरीका सीखने के लिए भारत का उदाहरण सबसे अच्छा है। ये भारत की ओर से पूरी दुनिया को सबसे अच्छे उपहार हैं।

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