The biggest lacuna in the life of a human being

It was discussed and analysed about the special characteristics of human-beings that make a human being the special creature on the earth in the last four-five blogs? It was concluded that the presence of mind and heart in a human being gives him the special status among all the living beings. The road-map of becoming the best version of himself /herself was suggested how to be in the best form of mind & heart in the last blogs.
human beings mind & heart

What does stop us from being the best?

The present blog discusses about the shortcoming which stops a human being from being the best version of himself/herself.Why is a person not able to manifest his/her divinity despite of all the special characteristics as a human being?
This is the simple rule about body that it developes naturally according to the level of basic nutrition.It gets perfect by the time and it does not need special efforts in its growth.But this is not true in the case of mind & heart. These both need special attention and continuous efforts for developement.The regular efforts and the high level of alertness are the basic requirement for being an ideal personality.An animal lives a life of an animal whether it wishes so or not but its not applicable in the case of human being.Its enogh to have an animal body to become an animal but a human being needs to make efforts to prove his/her worth as a human being.

Nothing is sure… things are dependent on our efforts?

The basic difference between a human being and animal is that an animal is always an animal without any effort while a human being may be an animal, a human being, a great personality and a god. A human is rich with the possibilities of being a human being to god.If person becomes great or god, it is the result of efforts on the level of his/her mind & heart.
Its crystal clear that the biggest boon to the human beings is the biggest curse also to them because it has the possibility to climb up as the level of god and climb down as the level of an animal. Thsese possibilities are not automatic, these need efforts on the level of mind & heart.

The liquidity of human nature is our boon as well as curse.

There is the liquidity in the nature of a human being like water, water takes the form of its container in the same way the life of a human being can be moulded any way. This liquidity gives him/her the oppotunity of being a god or bein the oppotunity of being an animal. This liquidity is his/her boon and curse.

Conclusion

In the conclusion, it can be said with complete conviction that this liquidity of human nature is the greatest lacuna in our life.Nothing is sure in our nature.We need continuous efforts to empower our personality for becoming a good person.Inactivity or indifference may lead to downfall while this is not correct in the life of other creatures on the earth.Their fate is pre-decided while the fate of a human being is always in his/her hand.This thing is the biggest lacuna in our life as well as the biggest gift form God to us.

The biggest lacuna in the life of a human being

पिछले चार-पांच ब्लॉगों में मनुष्य की उन खास विशेषताओं के बारे में चर्चा और विश्लेषण किया गया जो मनुष्य को पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाती हैं|उस विश्लेषण का यह निष्कर्ष निकाला गया कि मनुष्य में मस्तिष्क और हृदय की उपस्थिति उसे सभी जीवित प्राणियों के बीच विशेष दर्जा देती है। स्वयं का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने का रोड-मैप पिछले ब्लॉगों में सुझाया गया था कि मन और हृदय को सर्वोत्तम रूप में कैसे विकसित किया जाए?

क्या है जो हमें सर्वश्रेष्ठ होने से रोकता है?

प्रस्तुत ब्लॉग उस कमी के बारे में चर्चा की गई है जो एक इंसान को खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने से रोकती है। एक इंसान के रूप में सभी खास विशेषताओं के बावजूद एक व्यक्ति अपनी दिव्यता को प्रकट करने में सक्षम क्यों नहीं हो पाता है?
human being
शरीर के बारे में यह सरल नियम है कि यह मूल पोषण के स्तर के अनुसार स्वाभाविक रूप से विकसित होता है। यह समय के साथ परिपूर्ण हो जाता है और इसके विकास में विशेष प्रयासों की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन दिमाग और दिल के मामले में यह सच नहीं है। विकास के लिए इन दोनों पर विशेष ध्यान देने और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। नियमित प्रयास और उच्च स्तर की सतर्कता एक आदर्श व्यक्तित्व होने के लिए बुनियादी आवश्यकता है। एक जानवर एक जानवर का जीवन जी सकता है, चाहे वह ऐसा चाहे या न चाहे लेकिन यह बात मनुष्य पर लागू नहीं होती है।जानवर बनने के लिए जानवर का शरीर होना काफी है लेकिन इंसान को इंसान के रूप में अपनी मनुष्यता साबित करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।

कुछ भी तय नहीं… सब प्रयासों पर निर्भर हैं

इंसान और जानवर के बीच बुनियादी अंतर यह है कि जानवर बिना किसी प्रयास के हमेशा जानवर ही रहता है जबकि इंसान जानवर, इंसान, महान व्यक्तित्व और भगवान भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति महान या देवतुल्य बनता है, तो यह उसके दिल और दिमाग के स्तर पर किये गए प्रयासों का परिणाम है।
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मनुष्य के लिए सबसे बड़ा वरदान उसके लिए सबसे बड़ा अभिशाप भी है क्योंकि इसमें ईश्वर के स्तर के रूप में ऊपर चढ़ने और एक जानवर के स्तर के रूप में नीचे उतरने की संभावना मौजूद है। ये संभावनाएँ स्वतः घटित नहीं होती हैं, इनके लिए दिल और दिमाग के स्तर पर प्रयास की आवश्यकता होती है।

हमारे स्वभाव की तरलता ही हमारे लिये वरदान और अभिशाप दोनों है

मनुष्य के स्वभाव औऱ नियति में पानी की तरह तरलता है, जैसे पानी अपने पात्र का रूप ले लेता है उसी प्रकार मनुष्य का जीवन किसी भी प्रकार से ढाला जा सकता है। यह तरलता उसे भगवान होने या जानवर होने का अवसर देती है। यह तरलता ही उसका वरदान और अभिशाप भी है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष में, यह पूर्ण विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि मानव स्वभाव की यह तरलता हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमी है। हमारे स्वभाव में कुछ भी निश्चित नहीं है। हमें एक अच्छा इंसान बनने के लिए अपने व्यक्तित्व को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। हमारी निष्क्रियता या उदासीनता हमें पतन की ओर ले जा सकती है जबकि पृथ्वी पर अन्य प्राणियों के जीवन में यह सही नहीं है। उनका भाग्य पहले से तय होता है जबकि मनुष्य का भाग्य हमेशा उसके हाथ में होता है। यह बात हमारे जीवन में सबसे बड़ी कमी है और ये ही बात हमारे लिए ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार भी है।

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