Success ‘ sutras ‘ of democracy

The best model of governance is democracy

There is no doubt in the fact that democracy is the best model of governance.Active participation of the public and the main aim of public welfare inherent in it makes democracy unique.Cent percent public-participation in the process of democracy can give it a higher dimension. Voluntary participation of the aware public in the governance-process not only keeps the ruling class in an active mode but can also be the biggest inspiration to keep it on the path of public-welfare.

The first formula

The first formula for the success of democracy is: Public-participation of the people.The better and ideal situation would be that 100% of the population of the country should consider themselves a part of the government, under which they must aim 100% voting, constant communication with their public representatives, courage to ask questions for wrong decisions and being ready for peaceful protest if they don’t listen their reasoable voice.

The second formula

The second formula is: independent and impartial media and positive activism of the intellectuals. The common people of the country are so busy in the hustle-bustle of life that they neither get the time nor the courage to understand and struggle with the political situations of the country. The common people of the country can neither protest daily nor reach out to their representatives.
In such a situation, it is the responsibility of the media and intellectuals to keep the government informed about the public sentiments. It must not happen that the media become the part of the government and sit on the lap of the government and start licking their boot. The intellectual class of the country must also not continue to seek personal benefits by singing the praises of the government.
 Such a situation proves to be very harmful in the long run. This tarnishes the reputation of the media and the intellectuals.Secondly, the necessary feedbacks to the government are stopped due to which anti-incumbency is created against the government.
Success of democracy
How the best model of governance can be turned into the best form of governance. What are the characteristics and requirements for this form of governance?

The third formula

The third formula for the success of democracy is: the right priorities of the government. The most valuable asset of any country is the citizens of that country, making them healthy and providing them a peaceful environment should be the first duty of the government. The government should make arrangements for quality health facilities for every citizen of the country and education and training to make them competent.
Such an environment should be available to healthy and capable people in which they can make maximum use of their abilities and capabilities and pave the way for the prosperity of the country.

Conclusion

These are the three main sutras which are like Brahma-Vishnu-Mahesh for the success of democracy. Public participation and good work can be expected from the people only when the government takes measures for this because the power is in their hands so that they can fill the gaps.
It is definitely the responsibility of the government to establish the rule of law in the country, make people capable and utilize their capabilities for the progress of the country because the leadership is in its hands and it is the driving force of the country.
Apart from this, there are some other small sutras like every part of the government should discharge its responsibilities properly and every citizen of the country should be conscious of his duties towards the country. But all these sutras will automatically get implemented if the first three sutras are followed.

लोकतंत्र के लिए सफलता के सूत्र

इस तथ्य पर कोई शक नही किया जा सकता कि लोकतंत्र शासन की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली है क्योंकि सक्रिय जनभागीदारी और इसमें निहित जनकल्याण की भावना इसे अद्वितीय बनाती है|ज्यादा से ज्यादा लोगों की या एक स्तर पर आकर शत प्रतिशत जनभागीदारी इसे और उच्चतर आयाम प्रदान कर सकती है|जागरूक जनसमूह की स्वेच्छा से शासन प्रक्रिया में भागीदारी न केवल शासक वर्ग को क्रियाशील स्थिति में रखती है बल्कि उसे जनकल्याण के मार्ग पर रखने की सबसे बड़ी प्रेरणा हो सकती है|

पहला सूत्र

लोकतंत्र की सफलता का पहला सूत्र है:ज्यादा से ज्यादा लोगों की जनभागीदारी|बेहतर और आदर्श स्थिति तो ये हो कि देश का शत प्रतिशत जनसमुदाय अपने आप को सरकार का ही अंग माने जिसके तहत 100% मतदान करना,अपने जनप्रतिनिधियों से लगातार संवाद करना,गलत निर्णयों पर प्रश्न पूछने, की हिम्मत और नही मानने पर शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए तैयार रहना,उसके दायित्व है जिनका उसे हर स्थिति में निर्वहन करना चाहिए|

दूसरा सूत्र

दूसरा सूत्र है:स्वतंत्र-निष्पक्ष मीडिया औऱ बुद्धिजीवी वर्ग की सकारात्मक सक्रियता|देश का आमजन जीवन की आपाधापी में इतना व्यस्त रहता है कि उसे सरकार और देश की राजनीतिक स्थितियों को समझने और जूझने का न तो समय मिल पाता और न ही उसकी हिम्मत होती है|देश का आमजन रोज ही न तो आंदोलन कर सकता है और न ही अपने अपने जनप्रतिनिधियों तक पहुँच सकता है, ऐसे में मीडिया और बुद्धिजीवियों की ये जिम्मेदारी है कि वे सरकार को जनभावनाओं से अवगत करवाते रहें
ऐसा न ही कि मीडिया सरकार की गोद मे जाकर बैठ जाएं औऱ सत्ता की मलाई चाटने लगें और इसी प्रकार देश का बुद्धिजीवी वर्ग भी सरकार के स्तुतिगान में लगकर व्यक्तिगत लाभों को साधता रहे|ऐसी स्थिति दीर्घकाल में बहुत नुकसानदायक साबित होती है|इससे एक तो मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग की साख खराब हो जाती है और दूसरा सरकार को जो जरूरी फीडबैक मिलने होते है वो बन्द हो जाते है जिससे सरकार के खिलाफ एन्टी-इनकंबेंसी का निर्माण हो जाता है|

तीसरा सूत्र

लोकतंत्र की सफलता का तीसरा सूत्र है:सरकार की सही प्राथमिकताएं|किसी भी देश की सबसे कीमती पूंजी उस देश के नागरिक होते है जिनको स्वस्थ-योग्य बनाना और उन्हें शांतिपूर्ण माहौल उपलब्ध करवाना सरकार का सबसे पहला कर्तव्य होना चाहिए| सरकार देश के प्रत्येक नागरिक के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं और उसे योग्य बनाने के लिए शिक्षण और प्रशिक्षण की व्यवस्था करवाएं|स्वस्थ और काबिल लोगों को ऐसा माहौल उपलब्ध हो जिसमें वे अपनी योग्यता-काबिलियत का अधिकतम उपयोग कर देश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकें|

निष्कर्ष

ये वे तीन प्रमुख सूत्र है जो लोकतंत्र की सफलता के लिए ब्रह्मा-विष्णु-महेश की तरह है|लोगों से जनभागीदारी और अच्छे काम की उम्मीद तब की जा सकती है जब सरकार इसके उपाय करें क्योंकि ताकत उंसके हाथ मे होती है जिससे वो जो गैप्स है उनकी पूर्ति कर सकती है|देश में कानून का राज स्थापित करना,लोगों को काबिल बनाना और उनकी काबिलियत को देश की प्रगति में काम लेना निश्चित तौर पर सरकार का दायित्व है क्योंकि नेतृत्व उसी के हाथ मे है और वो देश रूपी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर विराजमान होती हैं|
इसके अतिरिक्त अन्य कुछ छोटे-छोटे सूत्र है जैसे सरकार का प्रत्येक अंग ठीक से अपने दायित्वों का निर्वहन करें और देश का प्रत्येक नागरिक देश के प्रति अपने कर्तव्यों कर प्रति सजग रहें|किन्तु ये सभी सूत्र स्वतः ही लागू होते चले जायेंगे यदि शुरुआती तीन सूत्रों को समुचित तरीके से क्रियान्वित कर लिया जाएं|

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