How to strengthen our real identity ?

अपनी असल पहचान को कैसे मजबूत करें?

How to strengthen our real identity ?
In the last two blogs, it is discussed and concluded that the real strength of human beings is not their body but their mind and heart.By the virtue of these two-mind and heart-they have acquired a different identity and supermacy on the earth.

What to empower ?

real identity
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Now the question arises how to strengthen this real identity of a human being. How can a human being know and strengthen his/her real identity?
The only formula to this is the awareness and alertness of this fact that a human being is always different from all the living beings on the earth. A human being is not merely a body but something more and better than body.The awareness and confidence of this fact automatically leads to the excellence and perfection.The purpose of human beings life is not only to fill their belly, wander here and there, sleep and increase the count of children. A human being can do better than these average and common animal activities.

Awareness & alertness are the key

To create the awareness and alertness in a human being,the best ways are to study good literature and the second way is to spend time with great and wise people.The habit of studying good literature and being in the company of good people create the mental and emotional unrest in the people to change their life.A person tries to live the life of mind and heart rather than a life of body.
Body has limits, mind & body have unlimited capabilities.
It is the matter of deep thinking that their is limit to do something on the level of body. You can’t cure and benefit the whole humanity by your two hands and short life but when you invent some medicine, the whole humanity is benefitted by that for centuries.Their is limited time and physical limit to body but there is no limit to the works of your mind and heart. A human being can transcend all the boundries when he/she lives the life of mind and heart.

How are mind & heart get strengthened?

We must read and understand the stories and biographies of great and successful people to know that how much is possible to do for a human being in his/her life? Reading good literature expands the horizon of mind while the company of good people increase the sensitivity of our heart.Reading is actually the company of good people at the level of thinking.
Reading enriches our experiences which leads to a better and balanced personality.The company of good people provides the opportunity to compare ourselves with the good people’s character which leads improvement in the personality.

अपनी वास्तविक पहचान को कैसे सुदृढ़ करें?

पिछले दो ब्लॉगों में इस बात पर चर्चा की गई है और निष्कर्ष निकाला गया है कि इंसान की असली ताकत उसका शरीर नहीं बल्कि उसका दिमाग और दिल है। इन दो-दिमाग और दिल -के दम पर ही उसने धरती पर एक अलग पहचान और सर्वोच्चता हासिल है।

क्या सशक्त करें?

अब सवाल यह उठता है कि इंसान की इस असली पहचान को कैसे मजबूत किया जाए? एक इंसान अपनी असली पहचान कैसे जान सकता है और उसे मजबूत कैसे कर सकता है?
इसका एकमात्र सूत्र इस तथ्य की जागरूकता एवं सतर्कता है कि मनुष्य पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राणियों से सदैव भिन्न है। मनुष्य मात्र एक शरीर नहीं है, बल्कि शरीर से भी कुछ अधिक और बेहतर है। इस तथ्य की जागरूकता और विश्वास ही उसे अपने आप उत्कृष्टता और पूर्णता की ओर ले जाता है। मनुष्य के जीवन का उद्देश्य केवल अपना पेट भरना, इधर-उधर भटकना नहीं है। दिन रात आराम से सोना और बच्चों की गिनती बढ़ाते जाना,एक इंसान इन औसत स्तर की और जानवरों की सामान्य सी गतिविधियों से बेहतर कर सकता है।

जागरूकता और सतर्कता ही कुंजी है

इंसान में जागरूकता और सतर्कता पैदा करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है अच्छे साहित्य का अध्ययन करना और दूसरा तरीका है महान और बुद्धिमान लोगों के साथ समय बिताना। अच्छे साहित्य का अध्ययन करने और अच्छे लोगों की संगति में रहने की आदत से इंसान में अपने जीवन को बदलने की मानसिक और भावनात्मक अशांति पैदा होती हैं। व्यक्ति शरीर के जीवन के बजाय दिमाग और दिल का जीवन जीने की कोशिश करता है।

शरीर की सीमाएँ हैं, मन और शरीर की असीमित क्षमताएँ हैं।

यह गहन चिंतन का विषय है कि शरीर के स्तर पर कुछ करने की अपनी सीमा है। आप अपने दो हाथों और अल्प जीवन से पूरी मानवता को स्वस्थ और लाभान्वित नहीं कर सकते हैं, लेकिन जब आप किसी दवा का आविष्कार करते हैं, तो उससे सदियों तक पूरी मानवता लाभान्वित होती है|शरीर की भौतिक सीमा सीमित है, लेकिन मन-मस्तिष्क से किये काम की कोई सीमा नहीं है।जब कोई इंसान दिल और दिमाग का जीवन जीता है तो वह सभी सीमाओं को पार कर सकता है।

दिमाग और दिल कैसे मजबूत होते हैं?

human beings mind & heart
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हमें यह जानने के लिए महान और सफल लोगों की कहानियाँ और जीवनियाँ पढ़नी और समझनी चाहिए कि एक इंसान अपने जीवन में कितना कुछ कर सकता है? अच्छा साहित्य पढ़ने से मन का दायरा विस्तृत होता है जबकि अच्छे लोगों की संगति से हमारे हृदय की संवेदनशीलता बढ़ती है। पढ़ना वास्तव में सोच के स्तर पर अच्छे लोगों की ही संगति है।
पढ़ने से हमारे अनुभव समृद्ध होते हैं जिससे व्यक्तित्व बेहतर और संतुलित होता है। अच्छे लोगों की संगति से अच्छे लोगों के चरित्र से अपनी तुलना करने का अवसर प्रदान करती है जिससे व्यक्तित्व में सुधार होता है।

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