History and progress of any civilisation

Begining of the civilisation

The first day of a human being on the earth would have been very simple.At that time, there would not have been any religion, no caste, no sect, and no concept of any god or goddess. In the same way, there was no education, no guru(teacher), no books, no knowledge of any kind and no science-technology.In such a condition, one can easily imagine the level of mental-emotional progress of a person.

Infrastructural development

Then comes the issue of the external life and facilities available at that time.Those were also equal to none.These things clearly suggest the level of life at that time of begining this civilization.There was neither a house, nor clothes, nor food, nor any means of comfort and security.

The first step of any civilisation

The first step taken by a human being was to make an effort to make his/her life secure and comfortable. The people started using stone and metal tools (weapons) for their security and to get their food items. The discovery of fire brought about a revolutionary change in their life, fire not only provided them security but also gave them great variety in food and richness in taste. Fire made it possible to establishe the permanant place to live in.
The first came a home, homes made a small village and now villages have transformed into metropolitan cities.
By this process of development and transformation, society-caste-sect and religion were came into existence.The similarity of interests and life-style must have been the basis of all unity as sect, caste, religion or a nation. Now,where is the possibility of discrimination and defamatory treatment in all this? In any society, all the people cannot have the same of intelligence and emotional maturity
 Perhaps that is why the people who had the level of devil and bastard,they have added the flavor of discrimination and violence in it.By this feeling of separation, there is hatred and violence in the world.
history of the civilisation

The development of Indian- civilisation

In this direction, India gave some of the excellent ‘sutras’ to the world in which the there were the seeds of world-peace and welfareof the whole mankind. Those sutras were Vasudhaiva Kutumbakam and Om Sarve Bhavantu Sukhinah Sarve Santu Niramayaah
t took millions of years humans to reach here from the first day to the level of today. Now mankind is highly developed.Not only on the earth but we have hoisted the flag of our supermacy in the sky and the underworld.
Today, intelligence and kindness of human beings are their identity but even today there is no dearth of people who have the same level of the first day that is similar to an animal.These people try to solve all the matters on the strength of their body.They think only from the level of their physical strength and existence.
There is no need to fight with such people, they need our sympathy and guidance so that their level may be taken to some higher level. They need the revelation that human-beings have come upwards only after passing through this stage, rather you do not need to stay here or go downwards.They need to go upward and become more civilised being than they are.
The history of the civilisation of human beings is the journey of being a human being form the level of an animal.Now human beings are better and more civilised than any other living being on the earth.

किसी भी सभ्यता का इतिहास और प्रगति

सभ्यता की शुरुआत

पृथ्वी पर मनुष्य का पहला दिन बहुत ही साधारण रहा होगा। उस समय न तो कोई धर्म की , न जाति, न संप्रदाय और न ही किसी देवी-देवता की अवधारणा रही होगी। उसी प्रकार उस समय न शिक्षा थी, न गुरु, न पुस्तकें, न किसी प्रकार का ज्ञान और न विज्ञान-प्रौद्योगिकी। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की मानसिक-भावनात्मक प्रगति के स्तर की सहज ही कल्पना की जा सकती है।
बुनियादी ढाँचागत विकास
फिर बात आती है उस समय उपलब्ध बाह्य जीवन और सुविधाओं की। वे भी नहीं के बराबर थीं। ये बातें इस सभ्यता के आरंभ के समय जीवन के स्तर को स्पष्ट रूप से बताती हैं। न घर था, न कपड़े, न उचित और संतुलित भोजन, न ही आराम और सुरक्षा का कोई साधन।

किसी भी सभ्यता का पहला कदम

मनुष्य द्वारा उठाया गया पहला कदम अपने जीवन को सुरक्षित और आरामदायक बनाने का प्रयास करना था। लोगों ने अपनी सुरक्षा और भोजन सामग्री प्राप्त करने के लिए पत्थर और धातु के औजारों (हथियारों) का उपयोग करना शुरू कर दिया। आग की खोज ने उनके जीवन में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया, आग ने न केवल उन्हें सुरक्षा प्रदान की बल्कि उन्हें भोजन में विविधता और स्वाद में समृद्धि भी प्रदान की। आग ने रहने के लिए स्थायी स्थान स्थापित करना संभव बना दिया।
पहले घर आया, घरों से छोटा गांव बना और अब गांव महानगरों में तब्दील हो गए हैं।
विकास और परिवर्तन की इस प्रक्रिया से समाज-जाति-संप्रदाय और धर्म अस्तित्व में आये। हितों और जीवन शैली की समानता ही संप्रदाय, जाति, धर्म या राष्ट्र के रूप में सभी एकता का आधार रही होगी। अब इस सब में भेदभाव और किसी को साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार की संभावना कहां है? किसी भी समाज में सभी लोगों की बुद्धि और भावनात्मक परिपक्वता एक जैसी नहीं हो सकती। शायद इसीलिए जो लोग शैतान और घटिया स्तर के थे, उन्होंने इसमें भेदभाव और हिंसा का पुट मिला दिया । अलगाव की इस भावना से दुनिया में नफरत और हिंसा फैलती है।

भारतीय-सभ्यता का विकास

इस दिशा में भारत ने विश्व को कुछ उत्कृष्ट सूत्र दिये जिनमें विश्व-शांति और संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के बीज निहित थे। वो सूत्र थे वसुधैव कुटुंबकम और ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
पहले दिन से लेकर आज के स्तर तक पहुंचने में इंसानों को लाखों साल लग गए। अब मानव जाति अत्यधिक विकसित हो गई है। हमने न केवल धरती पर बल्कि आकाश और पाताल में भी अपनी श्रेष्ठता का झंडा फहराया है।
आज इंसान की बुद्धिमत्ता और दयालुता ही उसकी पहचान है लेकिन आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनका स्तर पहले दिन यानी एक जानवर के समान होता है। ये लोग अपने शरीर के बल पर सभी मामलों को सुलझाने की कोशिश करते हैं। .वे केवल अपनी शारीरिक शक्ति और अस्तित्व के स्तर से ही सोचते हैं।
ऐसे लोगों से लड़ने की जरूरत नहीं है, उन्हें हमारी सहानुभूति और मार्गदर्शन की जरूरत है ताकि उनके स्तर को कुछ ऊंचे स्तर पर ले जाया जा सके. उन्हें इस रहस्योद्घाटन की आवश्यकता है कि इस चरण से गुजरने के बाद ही मनुष्य ऊपर की ओर आए हैं, बल्कि आपको यहां रहने या नीचे जाने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें ऊपर की ओर जाने और उनसे अधिक सभ्य बनने की आवश्यकता है।
मनुष्य की सभ्यता का इतिहास एक जानवर के स्तर से मनुष्य बनने की यात्रा है। अब मनुष्य पृथ्वी पर किसी भी अन्य जीवित प्राणी की तुलना में बेहतर और अधिक सभ्य है।

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