Gandhian philosophy to fight against injustice & inequality

Gandhian philosophy
Gandhi studied law in England and returned India with the desire to ensure the legal rights to the people of his mother-land.Unfortunately, his desire could not be fulfilled in India, he could not get as much success as he would have imagined.But this initial failure or slow start turned out to be the best fortune in the life of Mohanadas Karamchand. Yes, he was just a simple man as Mohanadas Karamchand till then with the degree of law.

Journey to South Africa… a turning point.

But his journey to South Africa and the incidents that happened on the soil of South Africa changed his life for once and all.
On June 07,1893 at Pietermaritzburg, Gandhi was thrown out of the first class compartment of the train.This incident proved to be the seed of big change in coming years.This injustice and discriminatory act of an English-officer became the root cause of the end of British imperialism.Gandhi tried his method of Satyagarha and forced railway authority to say sorry and British Government to change the indiscriminatary law.No one would have thought that this small incident would change into the biggest fight against injustice and inequality in the whole world.
Gandhian philosophy

Return to India

Gandhi returned India and tried his old and tested method of Satyagrah here also.He fought against the biggest power on the earth for more than thirty years and got success at last.His struggle drew the attention of the whole world and his methods were applied in many other countries for getting freedom from British imperialism. There are many great personalities in different country where they are recognised as the Gandhi of that particular country.This is the matter of great pride that India showed the path of freedom to many countries.

Gandhian way of struggle

Gandhi’s way of struggle is of such nature that can be applied by anyone, anywhere and in all the conditions.He focuses on non-violence and mutual understanding. Gandhi doesn’t try to defeat his opponent, he just wants the justified rights.Gandhi is against the violent methods of change, he believes in the process of understanding and mutual co-operation.
In Indian perspective, Gandhi struggled not only for political freedom but also he proposed the complete package of social-economic and spiritual freedom.Without inclusive development in all the walks of life, political freedom may prove only a wonder of single night.Gandhian philosophy is the complete solution to all the ailments of a nation.

अन्याय और असमानता के खिलाफ संघर्ष में गांधीवादी दर्शन

अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने का गांधीवादी दर्शन
गांधी ने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की और अपनी मातृभूमि के लोगों को कानूनी अधिकार सुनिश्चित करने की इच्छा के साथ भारत लौट आए। दुर्भाग्य से उनकी ये इच्छा भारत में पूरी नहीं हो सकी| उन्हें उतनी सफलता नहीं मिल सकी जितनी उन्होंने कल्पना की थी लेकिन यह प्रारंभिक विफलता या धीमी शुरुआत मोहनदास करमचंद के जीवन का सबसे अच्छा भाग्य साबित हुई। हाँ, वह कानून की डिग्री के साथ उस समय तक मोहनदास करमचंद के रूप में एक साधारण व्यक्ति थे।

दक्षिण अफ्रीका जाना औऱ जीवन में निर्णायक बदलाव

लेकिन उनकी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा और दक्षिण अफ्रीका की धरती पर घटी घटनाओं ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।
07 जून 1893 को पीटरमैरिट्जबर्ग में गांधीजी को ट्रेन के प्रथम श्रेणी डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया। यह घटना आने वाले वर्षों में बड़े बदलाव का कारण साबित हुई। एक अंग्रेज-अधिकारी का यह अन्याय और भेदभावपूर्ण कार्य ब्रिटिश साम्राज्यवाद के अंत का मूल कारण बन गया। गांधी जी ने अपने सत्याग्रह के तरीके को आजमाया और रेलवे अधिकारियों को माफी मांगने और ब्रिटिश सरकार को उस भेदभावपूर्ण कानून को बदलने के लिए मजबूर किया। किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह छोटी सी घटना पूरी दुनिया में अन्याय और असमानता के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई में बदल जाएगी।

भारत आगमन… और आजादी का संघर्ष

गांधी जी भारत लौटे और उन्होंने यहां भी अपना पुराना और परखा हुआ सत्याग्रह का तरीका आजमाया। उन्होंने तीस साल से ज्यादा समय तक पृथ्वी की सबसे बड़ी ताकत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आखिरकार उन्हें सफलता मिली। उनके संघर्ष ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा और उनके तरीकों को भारत में भी लागू किया गया। ब्रिटिश साम्राज्यवाद से आजादी पाने के लिए कई अन्य देश भी हैं। विभिन्न देशों में कई महान हस्तियां हैं जहां उन्हें उस विशेष देश के गांधी के रूप में पहचाना जाता है। यह बहुत गर्व की बात है कि भारत ने कई देशों को आजादी का रास्ता दिखाया।

संघर्ष का गांधीवादी तरीका

गांधी का संघर्ष का तरीका इस प्रकार का है कि कोई भी, कहीं भी और सभी परिस्थितियों में इसे लागू कर सकता है। वह अहिंसा और आपसी समझ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। गांधी अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने की कोशिश नहीं करते हैं, वह सिर्फ उचित अधिकार चाहते हैं। गांधी परिवर्तन के हिंसक तरीकों के ख़िलाफ़ हैं, वे समझ और आपसी सहयोग की प्रक्रिया में विश्वास करते हैं।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में, गांधी ने न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि उन्होंने सामाजिक-आर्थिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का पूरा पैकेज भी प्रस्तावित किया। जीवन के सभी क्षेत्रों में समावेशी विकास के बिना, राजनीतिक स्वतंत्रता केवल एक पल का चमत्कार साबित हो सकती है। गांधीवादी दर्शन राष्ट्र की सभी समस्याओं का संपूर्ण समाधान है|

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