Drawbacks and perils in democracy

Drawbacks and perils in democracy

Its universally accepted that democracy is the best system of governance among all the other systems of governance.This system of governance not only ensures public welfare but also represents the true aspirations of the people. No one can blame anyone else for their good or bad condition and at the same time one can equally feel proud of one’s own achievements. In a nutshell,the success and failure of a country is the combined success/failure of its citizens.

Perils in democracy

But along with these good things, democracy has some flaws which raise a question mark on this wonderful and successful system of governance. In this article,we will discuss those weaknesses and possible threats in a democracy.

Majoritinism

The biggest danger in a democracy is the monopoly of the majority class. If the ruling class or the majority group of the electorate realizes that they can run the government as per their wish, then it can turn into a serious problem. If this happens, it causes an adverse impact on the existence and interests of minority classes.
Some evil minded leaders can permanently nurture this sentiment and present democracy in its sick form. This type of Democracy will be nothing but a mobocracy in which the majority class does its own thing and the minority class becomes dependent for its honour and respect. However, this will not be possible for long because people understand this situation sooner or later. but the majority After the politics of majoritarianism becomes dominant, logic and order disappear from governance and the era of vulgar display of majority begins.

Indifference of the public

The second biggest threat to democracy is the uneducated and non-aware (indifferent) public. The beauty of democracy lies in its people, whether it is the ruling class or the public.The public is the essence of democracy which gives life to the democratic system.
In such a situation, educated and aware people are an essential condition for a successful democracy. If the citizens of a country are not educated and aware , the success of the democratic system of that country will remain doubtful. It is meaningless to expect from illiterate and indifferent people that they will elect such a people who are capable and ensure public welfare. They may have more inclination for their personal interests than the welfare of the country and public welfare.
In the same way, the elected people may also be concerned about the welfare of their future generations. An educated and aware public is also required to ascertain when the ruling class is on the right track and when it has gone off the track and is engaged in unnecessary activities.

Weak constitutional institutions

The third and last major danger of democracy is that democratic institutions get mixed up among themselves and get busy in serving their own interests. For the successful and smooth functioning of democracy, various institutions are established and it is expected that they will fulfill their responsibilities properly.

Compromised judiciary

The most important thing is the independent and impartial judiciary and media. Judiciary is in a way the protector and interpreter of the governance system, hence it is essential for it to be strong, impartial and independent otherwise all the parts of governance can go out of control and derail.

Compromised media

The role of media is like CCTV cameras that show the correct images of the governance, sponsored broadcasts confuse the entire public. The army should remain engaged in its security work and should not unnecessarily poke its nose in the governance,. In the same way socio-religious institutions must be involved in the work of society and religion. These institutions must be engaged in trying to make people more educated, aware and moral.

लोकतंत्र की कमजोरियां और इसमें सम्भावित खतरे

इस तथ्य को निर्विवाद तौर पर स्वीकार किया जाता है कि अब खोजी जा चुकी शासन-प्रणालियों में लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली है जो न केवल लोककल्याण को सुनिश्चित करती है बल्कि वो जन-आकांक्षाओं का सही प्रतिनिधित्व करती है
इसमें कोई भी अपनी खराब स्थिति के लिए दूसरे किसी अन्य को दोषी नही ठहरा सकता और साथ ही अपनी उपलब्धियों पर समान रूप से गर्व की अनुभूति कर सकता है| सार रूप में देश की सफलता और विफलता उस देश के नागरिकों की साझी सफलता/विफ़लता है|
किन्तु इन अच्छाइयों के साथ लोकतंत्र में कुछ खामियां भी है जिनसे इस शानदार और सफल प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है| प्रस्तुत लेख में हम उन कमजोरियों और सम्भावित खतरों की चर्चा करेंगे|

बहुसंख्यक वर्ग का प्रभुत्व

लोकतंत्र में सबसे बड़ा खतरा बहुसंख्यक वर्ग के एकाधिकार हो जाने का है|अगर शासक वर्ग अथवा निर्वाचक वर्ग के बहुसंख्यक समूह को ये एहसास हो जाएं कि वे शासन को अपनी इच्छानुसार चला सकते है तो ये एक गंभीर समस्या में तब्दील हो सकता है
ऐसा होने पर देश में अल्पसंख्यकों समूहों पर उनके अस्तित्व और हितों पर विपरीत प्रभाव पैदा करने वाली स्थिति पैदा हो जाती है|कुछ शैतान बुद्धि नेता इस भाव में को स्थायी रूप से पाल-पोसकर लोकतंत्र को इसके रुग्ण स्वरूप में प्रस्तुत कर सकते है|इस प्रकार का लोकतंत्र सिवाय भीड़तंत्र के कुछ नही होगा जिमसें बहुसंख्यक वर्ग अपनी मनमानी करें और अल्पसंख्यक वर्ग को उसके मान-सम्मान के ही लाले पड़ जाएं|
हालांकि ये ज्यादा समय तक सम्भव नही हो पायेगा क्योंकि लोग इस स्थिति को भी देर-सबेर समझ जाते है किंतु बहुमत को अपने पक्ष में मोड़ने का ये एक आसान उपाय है कि नेतृत्व बहुसंख्यक हितों की राजनीति करें| बहुसंख्यकवाद की राजनीति हावी होने के बाद शासन से तर्क औऱ व्यवस्था तो विदा हो जाती है औऱ उसकी जगह बहुमत के भोंडे प्रदर्शन का दौर शुरु हो जाता है|

जनता की उदासीनता

लोकतंत्र का दूसरा सबसे बड़ा खतरा है अशिक्षित और गैर-जागरूक(उदासीन) जनता|लोकतंत्र की खूबसूरती इसके लोगों में निहित है चाहे वो शासक वर्ग हो या जनता|वैसे भी जनता लोकतंत्र का प्राण है जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को जीवन मिलता है|ऐसे में लोगों का शिक्षित और जागरूक होना एक सफल लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है
अगर किसी देश के नागरिक पढे-लिखे और जागरूक नही है तो फिर उस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता संदिग्ध ही रहेगी|अनपढ़ और उदासीन लोगों से ये उम्मीद बेमानी है कि वे सुयोग्य और लोककल्याण को सुनिश्चित करने वाले लोगों का चुनाव कर लेंगे|उनके मनो में देश और लोककल्याण से ज्यादा अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना हो सकती है ठीक उसी प्रकार चुने हुए लोग भी अपनी सात पीढ़ी के कल्याण में रत हो सकते है| शासक वर्ग कब सही राह पर है और कब बेपटरी होकर बेवजह के कामों में लगा है इस बात को सुनिश्चित करने के लिए भी एक शिक्षित और जागरूक जनसमूह की आवश्यकता होती है|

कमजोर लोकतांत्रिक संस्थाएं

लोकतंत्र का तीसरा और अंतिम बड़ा खतरा है लोकतांत्रिक संस्थाओं को आपस में घालमेल होकर अपनी स्वार्थसिद्धि में लग जाना|लोकतंत्र के सफल और सुचारू संचालन के लिए विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की जाती है और उम्मीद की जाती कि वे अपना अपना दायित्व ढंग से निभाएंगे|

पक्षपातपूर्ण न्यायपालिका

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है स्वतंत्र- निष्पक्ष न्यायपालिका और मीडिया|न्यायपालिका एक प्रकार से शासन प्रणाली की रक्षक औऱ व्याख्याकार है इसलिए उसका मजबूत-निष्पक्ष और स्वतंत्र होना अनिवार्य है अन्यथा शासन के सारे अंग बेकाबू और बेपटरी हो सकते हैं|

रीढ़विहीन मीडिया

उसी प्रकार मीडिया सरकार के काम पर जनता का CCTV कैमरा है जिसमें सही चित्र आने जरूरी है अन्यथा प्रायोजित प्रसारण सारी व्यवस्था को भ्रमित कर देता है|सेना अपने सुरक्षा के काम लगी रही और शासन में बेवजह नाक न घुसाये,ठीक उसी प्रकार समाजिक-धार्मिक संस्थाएं समाज औऱ धर्म के काम में लगी रही औऱ लोगों को ज्यादा शिक्षित-जागरूक और नैतिक बनाने का प्रयास करें|

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