Education and Examination

The concept of examination

As soon as the name of the examination is mentioned, a feeling of panic arises in the mind of even an intelligent person who has done a lot of preparation. Although good preparation creates one’s confidence, but the concept of the examination is such that its very name seems challenging to the person, as a result of which he/she prepares himself/herself to present at best.

The basic objective of examination

The basic objective of the examination is to check and evaluate how much journey has been completed towards the targeted knowledge/skill level. This type of examination provides an opportunity to the person to know his/her weak and strong points and can make his action plan accordingly.
When a person has an honest assessment of himself/herself, the action plan based on it is more accurate and fruitful. The concept of examination is good in the sense that it makes a person aware of his original nature and provides him/her confidence as per his ability.

Why is honesty compulsory in examination?

Examination acts as a motivation to move forward towards any goal. For example, if the examination held at the end of the year in school or college is removed, then all the students can become de-motivated and feel confused.
It is the examination itself which Inspires not only students but also teachers for continuous and quality work. If there is no mechanism to check or test any work, then it is like sailing a boat here and there without any goal in the bottomless ocean in which a person can get lost and die but hardly reach the goal? Examination is an essential system not only in the education system but in every sphere of life.

What type of examination ?

The examination should be such that there is scope for introspection, opportunities for creativity and positive imagination. Merely memorizing facts and events and presenting them in the examination is not a great skill. Today, millions of information can be stored in a memory card the size of a nail. Therefore, in the examination, it should be asked that what was the contribution of Gandhiji in India’s freedom movement? So on the same lines, it can also be asked that you evaluate your father’s life
In the first question, everyone’s answers will be almost the same and copying is also possible, whereas in the second question, everyone’s answers will be different and there will be no scope for copying. Similarly, the first question tests the memory of the students while the second question makes the student think more.

Arrangement at the time of examination?

The time of examination is as if a seeker is at the last stage of his penance. The environment at the time of examination should be such in which the examinee can give 100 percent of his talent in that examination. Cheating during the examination and the noise in the examination room not only discourages the true and good students but they are also not able to give their 100% performance.
The chaos and unmotivated environment during examinations is a kind of injustice to talented children. Cheating or any kind of assistance in the examination corrupts the sanctity of the examination and its basic purpose, hence it should be avoided

शिक्षा और परीक्षा

जहां शिक्षा जीवन में को बदलने का सबसे कारगर माध्यम है वहीं परीक्षा शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के सबसे कारगर माध्यम है|परीक्षा क्या है? परीक्षा क्यों, कैसी और कैसे हो?

परीक्षा की अवधारणा

परीक्षा का नाम लेते ही कितनी भी तैयारी करे हुए बुद्धिमान इंसान के मन में घबराहट का भाव उभर आता है|हालांकि अच्छी तैयारी एक आत्मविश्वास पैदा करती है किंतु परीक्षा की अवधारणा इस प्रकार की है कि उसका नाम ही व्यक्ति को चुनौतीपूर्ण लगता है जिसके परिणामस्वरूप वह अपने आप को अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में प्रस्तुत करने के लिए स्वयं को तैयार करता है|

परीक्षा क्यों?

परीक्षा का मूल मकसद ये जांचना और परखना है कि लक्षित ज्ञान/कौशल स्तर तक कितनी यात्रा पूरी कर ली गयी है|इस प्रकार की जांच व्यक्ति को ये अवसर प्रदान करती है कि वह अपने कमजोर और मजबूत पक्षों का जानकर उसी अनुसार अपनी कार्ययोजना बना सकें|
जब किसी व्यक्ति के पास उसका स्वयं का एक ईमानदार आंकलन होता है तो उसके आधार पर बनाई जाने वाली कार्य-योजना ज्यादा सटीक औऱ फलदायी होती है| परीक्षा के अवधारणा इस रूप में अच्छी है कि वह इंसान को उसके मूल(असल) स्वरूप से अवगत करवा कर उसे उसकी योग्यतानुसार आत्मविश्वास उपलब्ध करवाती है|

परीक्षा में ईमानदारी क्यों जरूरी है

परीक्षा किसी भी लक्ष्य तक आगे बढ़ने की प्रेरणा का काम करती है|उदाहरण के तौर पर स्कूल अथवा कॉलेज में साल के अंत में होने वाली परीक्षा को हटा दिया जाएं तो सभी छात्र प्रेरणाहीन होकर दिग्भ्रमित महसूस कर सकते है|ये परीक्षा ही है जो न केवल छात्रों बल्कि अध्यापकों को भी लगातार और गुणवत्तापूर्ण कार्य की प्रेरणा देती है
किसी भी काम को जांचने अथवा परखने का कोई मैकेनिज्म न हो तो ये अथाह समुद्र में बिना किसी लक्ष्य के इधर उधर नाव चलाने जैसा है जिसमें इंसान भटक कर मर तो सकता है किंतु लक्ष्य तक शायद ही पहुँचे? न केवल शिक्षण व्यवस्था में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में परीक्षा एक अनिवार्य व्यवस्था है|

परीक्षा कैसी हो?

परीक्षा ऐसी हो जिसमें आत्मावलोकन की सम्भावना,सृजनशीलता के अवसर और सकारात्मक कल्पनाशीलता का स्कोप हो| केवल तथ्यों-घटनाओं को रट कर उन्हें परीक्षा में उढेल देना कोई बहुत बड़ा कौशल नही है| आज नाखून के बराबर के मेमोरी कार्ड में लाखों सूचनाओं को संगृहीत किया जा सकता है|इसलिए परीक्षा में ये पूछा जाएं कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का क्या योगदान था? तो उसी की तर्ज पर ये भी पूछा जा सकता है कि आप अपने पिता जी के जीवन का मूल्यांकन कीजिए
पहले वाले प्रश्न में सबके उत्तर लगभग समान होंगे और उनमें नकल करना भी सम्भव है जबकि दूसरे प्रश्न में सबके उत्तर अलग अलग होंगे और नकल की कोई गुंजाइश नही होगी| ठीक इसी प्रकार प्रथम प्रश्न छात्रों की मेमोरी की जांच करता है जबकि दूसरा प्रश्न छात्र को ज्यादा सोचने-समझने वाला बनाता है|

परीक्षा के समय अच्छे माहौल का महत्व

परीक्षा का समय ऐसा है जैसे कोई साधक अपनी तपस्या के अंतिम स्टेज पर हो|परीक्षा के समय माहौल ऐसा होना चाहिए जिसमें परीक्षा देने वाला अपनी प्रतिभा का शत प्रतिशत उस परीक्षा में दे सकें| परीक्षा के दौरान नकल और परीक्षा कक्ष में हुई अफरा-तफरी(शोरगुल) सच्चे और अच्छे छात्रों को न केवल हतोत्साहित करता है बल्कि वे अपना शत प्रतिशत प्रदर्शन भी नही कर पाते है|
परीक्षा के दौरान की अव्यवस्था और प्रेरणाविहीन माहौल प्रतिभाशाली बच्चों के साथ एक प्रकार का अन्याय है| परीक्षा में नकल या किसी भी तरह की सहायता परीक्षा की पवित्रता और उसके मूल मकसद को भ्रष्ट कर देती है इसलिए इससे बचा जाना चाहिए|

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