COVISHIELD CONTROVERSY भय या सुरक्षा

कोविशील्ड विवाद:भय या सुरक्षा

हाल में इस तरह की मीडिया रिपोर्ट्स आई कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन के तौर पर Covishield का इस्तेमाल किया है उन लोगों पर इसके साइड इफेक्ट्स देखने को मिले है| इन रिपोर्ट्स के बाद भारत में इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया और लोगों में भय देखा गया कि क्या वे Covishield वैक्सीन से सुरक्षित हुए है या उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हुआ है| प्रस्तुत ब्लॉग में इन्हीं प्रश्नों के साथ लोगों के डर और मीडिया रिपोर्ट्स के दावों की पड़ताल करेंगे|

क्या है कोविशील्ड ?

भारत में कोरोना काल के दौरान लोगों को दो तरह की वैक्सीन लगाई गई थी जिनमें कोवैक्सीन को भारत में ही तैयार किया गया था जबकि Covishield को ब्रिटिश कंपनी के फार्मूले पर भारत में तैयार किया गया था| कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने तैयार किया था जबकि Covishield को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के लैब में तैयार किया गया था|
ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने Covishield वैक्सीन को तैयार किया जिसका निर्माण भारत में ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया‘ द्वारा किया गया था| भारत में करीब 85-90% लोगों को ये ही वैक्सीन दी गयी| यूरोप में इसी वैक्सीन को वैक्सजेवरिया के नाम से बनाया गया और लोगों दिया गया था|
Covishield controversy

क्या है ताजा विवाद?

कोरोना की दवा बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने पहली बार स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से बहुत कम(दुर्लभ) मामलों में दुष्प्रभाव हो सकते हैं| एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने (Blood Clot) लगते हैं या बॉडी में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं| बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंकाएं बढ़ सकती हैं|
एस्ट्राजेनेका के खिलाफ ब्रिटेन के जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने केस दर्ज कराया है| स्कॉट का दावा है कि कंपनी की कोरोना वैक्सीन की वजह से वह थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम की समस्या से जूझ रहे हैं|वह ब्रेन डैमेज का शिकार हो गए थे|कंपनी की कोरोना वैक्सीन के खिलाफ दर्जनभर से ज्यादा लोगों ने कोर्ट का रुख किया है|इन लोगों का आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ा है. इन लोगों ने मुआवजे की मांग की है| ऐसे में एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को स्वीकार कर लिया है|

स्वीकारोक्ति के बाद कंपनी का रुख

एस्ट्राज़ेनेका की कोरोना वैक्सीन (AstraZeneca Corona Vaccine) से दुष्प्रभाव को लेकर दुनियाभर में मचे बवाल के बाद कंपनी ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर वापस लेने की पहल की है| ब्रिटिश दवा कंपनी ने स्वीकार किया था कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield) के दुर्लभ प्रभाव हो सकते है| एस्ट्राज़ेनेका ने अपनी मर्जी से यूरोपीय संघ में अपना “मार्केटिंग ऑथराइजेशन” वापस ले लिया|उन्होंने कहा कि वैक्सीन का अब उत्पादन नहीं किया जा रहा है और अब इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है|इसी तरह से वैक्सीन का उपयोग करने वाले अन्य देशों से भी इसे वापस लिया जाएगा|
इस विषय में उन्होंने मार्च में ही वैक्सीन को वापिस लेने का वादा कर लिया था जिसके लिये उन्हें इसी सप्ताह 7 मई को मंजूरी मिल गयी जिसके बाद मार्किट से बची हुई वैक्सीन वापिस ले ली जाएगी औऱ इसका आगे उत्पादन नही किया जा सकेगा|

हमारा विचार

कोई भी सरकार(न ब्रिटिश औऱ न भारतीय) और कोई भी कंपनी लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जैसा दुस्साहस नही कर सकती| कोरोना काल में सबसे बड़ी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना थी तो ऐसे में किसी भी वैक्सीन को मंजूरी देना उस समय अनिवार्य बाध्यता थी| इसमें अब ये आक्षेप लगाना की किसी सरकार या कंपनी ने हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया उचित नही है| जैसे ही साइड इफेक्ट्स की बात आई वैसे ही सरकार और कंपनी अलर्ट हुए औऱ दवा के वापसी की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है|
कंपनी ने साफ बताया है कि साइड इफेक्ट्स की बात तो सही है किंतु उनकी संभावना बहुत कम(दुर्लभ)है तो ऐसे में ज्यादा भय का वातावरण बनाना कोई बहुत बड़ी समझदारी नही है|

2 thoughts on “COVISHIELD CONTROVERSY भय या सुरक्षा”

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