पश्चिमी उत्तरप्रदेश-गुजरात और राजस्थान में इस तरह की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है कि जिसे देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे राजपूतों के मन में भाजपा को लेकर बेचैनी है| राजनीति में राजपूतों के घटते प्रतिनिधित्व,राजपूतों नेताओं के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार, इतिहास के साथ छेड़छाड़ और कुछेक नेताओं के द्वारा अपमानजनक बयानबाज़ी को इसके पीछे का कारण माना जा रहा है|
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लेखक महोदय यह सब समयचक्र होता है… अतः दिन बदलते रहते हैं….वो दौर नहीं रहा तो यह दौर भी नहीं रहेगा…. अतः जगह को ना छोड़े….अगर जगह छोड़ दी तो फिर निश्चित दूसरा व्यक्ति या समाज काबिज होगा ही…..