लद्धाख आंदोलन पर केन्द्र सरकार की खामोशी

लद्दाख को संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करने और इस केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने जैसी मांगो को लेकर वहां के लोग आंदोलन कर रहे है| जाने माने शिक्षाविद और पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के नेतृत्व में स्थानीय लोग इन मांगों को लेकर सरकार से लगातार मांग कर रहे है कि उनकी बातों को सुना जाएं|

आंदोलन क्यों?

वर्तमान में लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसमें लेह और कारगिल जिले शामिल है| स्थानीय लोगों का दावा है कि उनकी संस्कृति और यहाँ की जलवायु पूरी तरह से अलग है लिहाजा उन्हें अलग राज्य का दर्जा दिया जाएं| इसके अतिरिक्त वे लद्दाख में लोकतंत्र बहाली औऱ पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर भी सरकार से दखल चाहते है|

नेतृत्वकर्ता-सोनम वांगचुक

देश के जाने माने चेहरे सोनम वांगचुक 6 मार्च से 21 दिन के अनशन पर है और रोज सोशल मीडिया के द्वारा अपनी मांगों को केंद्र सरकार के सामने दोहरा रहे है| सोनम वांगचुक ने अपने इस 21 दिवस के अनशन को ‘क्लाइमेट फ़ास्ट’ का नाम दे रखा है और आंदोलन को ‘सेव लद्दाख-सेव हिमालय-सेव ग्लेशियर’ नाम से चला रहे है|
6 मार्च से आज 18 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से न तो कोई बातचीत का प्रयास किया गया है और न ही इस दिशा में कोई पहल नजर आई है|

वांगचुक की सेहत होती जा रही है नाजुक

खुले आसमान के नीचे 10 डिग्री सेल्सियस में अनशन से सोनम की हालत खराब होती जा रही है|मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित और दुनिया में ख्यातिप्राप्त इस सख्सियत के साथ कोई अनहोनी होती है तो सरकार को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है| बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए बातचीत का सिलसिला शुरू करें|

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